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फिर से गन्ना समितियों से ही जारी होने लगी गन्ने की पर्चियां

गन्ना पर्चियों में होने वाली गड़बड़ी की रोकथाम के लिए पूर्व गन्ना आयुक्त की ओर से किए गए फैसलों को पलट दिया गया है। केंद्रीयकृत व्यवस्था के बजाए गन्ना पर्चियां अब समितियों के दफ्तरों से ही जारी होने लगी है। यहीं से संशोधन एवं दूसरे कार्य हो रहे हैं। जिसकी वजह से आम किसान की परेशानी बढ़ी हुई है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 08:18 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 08:18 PM (IST)
फिर से गन्ना समितियों से ही जारी होने लगी गन्ने की पर्चियां
फिर से गन्ना समितियों से ही जारी होने लगी गन्ने की पर्चियां

जागरण संवाददाता, रुड़की : गन्ना पर्चियों में होने वाली गड़बड़ी की रोकथाम के लिए पूर्व गन्ना आयुक्त की ओर से किए गए फैसलों को पलट दिया गया है। केंद्रीयकृत व्यवस्था के बजाए गन्ना पर्चियां अब समितियों के दफ्तरों से ही जारी होने लगी है। यहीं से संशोधन एवं दूसरे कार्य हो रहे हैं। जिसकी वजह से आम किसान की परेशानी बढ़ी हुई है।

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गन्ना विभाग में कुछ प्रभावशाली किसान एवं माफिया के गठजोड़ के कारण आम किसानों को तमाम परेशानी होती थी। दो साल पहले तक स्थिति यह थी कि प्रभावशाली किसानों की नवंबर, दिसंबर में भरपूर गन्ना पर्चियां आ जाती थी। लेकिन, आम किसान को पर्चियां ही नहीं मिलती थी। जिस कारण किसान गेहूं की बुआई से वंचित रह जाता था। इस गड़बड़ी को रोकने के लिए तत्कालीन गन्ना आयुक्त ललित मोहन रयाल ने गन्ना समितियों से पर्चियां जारी होने की व्यवस्था को समाप्त करते हुए इसे कंट्रोल रूम से जारी करने की व्यवस्था की। सहायक गन्ना आयुक्त कार्यालय परिसर में अलग से कार्यालय की व्यवस्था कर यहीं से पूरे जिले की पर्चियां जारी होती थी। साथ ही गन्ना पर्चियों के संशोधन भी सहायक गन्ना आयुक्त कार्यालय से ही होते थे। इसकी वजह से दो साल से आम किसान खुश थे और आसानी से गन्ने को बेच रहे थे। जून में गन्ना आयुक्त ललित मोहन रयाल का तबादला कर दिया गया। इसके बाद से उनके द्वारा लिए गए अधिकांश फैसलों को बदला जाने लगा है। अब गन्ना पर्चियों को जारी करने की व्यवस्था फिर से गन्ना समितियों को ही दे दी गई है। संशोधन से लेकर तमाम काम अब गन्ना समितियों से ही हो रहे हैं। ऐसे में फिर से आम किसान पर्चियों के लिए परेशान घूम रहा है। किसान नेता पदम सिंह रोड, मुबारिक अली ने भी पिछले दिनों ज्वाइंट मजिस्ट्रेट से वार्ता के दौरान गन्ना पर्चियों के मुद्दे को रखा था।

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करते है अवैध रूप से गन्ने का कारोबार

रुड़की: इस समय गन्ना कोल्हू में किसान का गन्ना ढाई सौ रुपये प्रति क्विटल की दर से बिक रहा है। जबकि चीनी मिल का पिछले साल का दाम 327 रुपये प्रति क्विटल था। उत्तरप्रदेश से 25 रुपये की बढ़ोतरी की है। उत्तराखंड से अभी गन्ने का दाम घोषित नहीं किया है। माना रहा है कि राज्य में गन्ने का दाम साढ़े तीन सौ रुपये प्रति क्विटल से अधिक रहेगा। ऐसे में गन्ना माफिया एवं प्रभावशाली किसान आम किसान का गन्ना खरीदकर उसको अपनी पर्चियों पर चीनी मिल को आपूर्ति करते हैं। जिले में लंबे समय से यह खेल चल रहा था, जिसको दो साल पहले तत्कालीन गन्ना आयुक्त ने बंद करा दिया था।

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गन्ना पर्चियों की व्यवस्था पूरी तरह से पारदर्शी है। केवल समितियों से पर्चियां प्रिट हो रही है। बाकी इंडेट आदि का काम सहायक गन्ना आयुक्त कार्यालय से ही संचालित हो रहा है। अभी तक कोई शिकायत नहीं मिली है। यदि कहीं कोई गड़बड़ी है तो उसकी जांच की जाएगी।

शैलेन्द्र सिंह, सहायक गन्ना आयुक्त


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