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उत्तराखंड में गंगा किनारे संचालित हो रहे स्टोन क्रशर होंगे बंद

नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन का कहना है कि गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशर बंद होंगे।

By BhanuEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 10:08 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 03:04 PM (IST)
उत्तराखंड में गंगा किनारे संचालित हो रहे स्टोन क्रशर होंगे बंद
उत्तराखंड में गंगा किनारे संचालित हो रहे स्टोन क्रशर होंगे बंद

हरिद्वार, जेएनएन। नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन का कहना है कि गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में अवैध रूप से चल रहे स्टोन क्रशर बंद होंगे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के हालिया आदेश के बाद पूर्ववत व्यवस्था प्रभावी हो गई है। एक सप्ताह के भीतर इसके तहत स्टोन क्रशरों पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। 

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हरिद्वार आए एनएमसीजी महानिदेशक राजीव रंजन ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 3 मई 2017 को गंगा के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी स्टोन क्रशर और खनन पट्टों को बंद करने के आदेश उत्तराखंड के मुख्य सचिव को दिए थे। 

इसी कड़ी में, सीपीसीबी के बाद एनजीटी और नैनीताल हाईकोर्ट ने भी सख्ती दिखाते हुए सरकार को इस संबंध में आदेश जारी किए थे। इसके तहत अगस्त 2017 में रायवाला से भोगपुर तक गंगा के किनारे संचालित 42 स्टोन क्रशर बंद कर दिए गए थे। 

इस बीच, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नैनीताल हाईकोर्ट के अलग-अलग तारीखों में हुए आदेशों के चलते स्टोन क्रशर बंदी आदेश निष्प्रभावी हो गए थे। उन्होंने बताया कि इसके मद्देनजर नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा ने पिछले साल 9 अक्टूबर 2018 को पूर्ववत व्यवस्था लागू करने को आदेश जारी किया। इस बीच सीपीसीबी ने मई 2017 के अपने आदेश को पलट कर स्टोन क्रशरों के संचालन का रास्ता खोल दिया था। 22 अप्रैल 2019 को यह आदेश सार्वजनिक होने के अगले ही दिन सीपीसीबी ने इस आदेश को रद कर दिया। 

महानिदेशक का कहना है कि इससे एनएमसीजी का अक्टूबर 2018 का आदेश प्रभावी हो गया है। यानि गंगा के पांच किलोमीटर के दायरे में स्टोन क्रशर व खनन कार्यों पर पाबंदी रहेगी। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को इस बारे में अवगत करा दिया गया है। इसके अनुपालन की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। अगले सप्ताह तक स्टोन क्रशरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। 

एसटीपी निर्माण कार्यों में लाएं तेजी: मिश्र 

नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्र ने गुरुवार को योजना अंतर्गत निर्माणाधीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांटों (एसटीपी) का निरीक्षण कर निर्माण कार्यों की प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। हर हाल में नियत समय तक कार्य पूरा कराने को भी निर्देशित किया।

शाम को चंडीघाट के निरीक्षण के दौरान उन्होंने साफ-सफाई व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए। साथ ही, नवनिर्मित घाट के प्रचार-प्रसार पर भी जोर दिया। 

नमामि गंगे के महानिदेशक (डीजी) राजीव रंजन मिश्र बृहस्पतिवार सुबह धर्मनगरी पहुंचे। मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद और अनशनरत ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद से भेंट करने के बाद वह सीधे लक्सर रोड जगजीतपुर पहुंचे। 

यहां करीब सौ करोड़ की लागत से 68 एमएलडी क्षमता के निर्माणाधीन एसपीटी का निरीक्षण किया। प्रोजेक्ट मैनेजर (पीएम) आरके जैन से परियोजना के संबंध में जानकारी जुटाई। पीएम ने करीब 80 फीसद कार्य पूर्ण होने की जानकारी दी। उन्होंने हर हाल में सितंबर 2019 तक एसटीपी निर्माण कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए। 

इसके बाद वह सीधे ज्वालापुर स्थित कस्साबान नाले के निरीक्षण को पहुंचे। नाले की टैङ्क्षपग आदि को लेकर आ रही परेशानी पर उन्होंने नाराजगी जताई और अधीनस्थों को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि किसी भी सूरत में गंदा पानी गंगा में नहीं डाला जाए। इसके बाद वह दलबल के साथ ज्वालापुर क्षेत्र के सराय पहुंचे। निर्माणाधीन एसटीपी का निरीक्षण किया। 

एक माह के भीतर निर्माण कार्य पूरा कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि चंडीघाट की साफ-सफाई और साज सज्जा ऐसी होनी चाहिए कि यहां पहुंचकर श्रद्धालु आत्मशांति का अनुभव करे। निरीक्षण के दौरान अधिशासी निदेशक (परियोजना) जी अशोक कुमार, वित्त नियंत्रक रोजी अग्रवाल, एसपीएमजी के टेक्निकल डायरेक्टर प्रभात राज, प्रोजेक्टर इंजीनियर हेम जोशी, दीक्षा नौटियाल समेत कई अधिकारी और कर्मचारी मौजूद थे। 

आत्मबोधानंद अब तीन मई से करेंगे निर्जल सत्याग्रह 

गंगा की निर्मलता, अविरलता के लिए ब्रह्मलीन संत स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की मांग को पूरा करने को लेकर 184 दिन से मातृसदन में तपस्या (अनशन) कर रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने निर्जल सत्याग्रह (अनशन) को एक सप्ताह के लिए टाल दिया है। ऐसा उन्होंने नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन के गुरुवार को मातृसदन पहुंचकर इसके निमित्त किए गए अनुरोध पर किया।

हालांकि,  उन्होंने तपस्या समाप्त करने की उनकी मांग को सिरे से नकार दिया। ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने मांग पूरी न होने पर 27 अप्रैल से निर्जल सत्याग्रह किए जाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि अब यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती तो वे तीन मई से निर्जल सत्याग्रह करेंगे।     

नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव रंजन ने बताया कि उन्होंने स्वामी शिवानंद और ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद को बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से रायवाला से भोगपुर तक गंगा के पांच किमी दायरे में चल रहे स्टोन क्रशर को बंद करने और गंगा में किसी भी तरह का खनन रोकने संबंधी नमामि गंगे का आदेश प्रभावी हो गया है। 

सीपीसीबी के आदेश और 24 अगस्त 2017 को दिए गए नैनीताल हाईकोर्ट के निर्देश पर रायवाला से भोगपुर तक गंगा के पांच किमी दायरे में आने वाले सभी 42 स्टोन क्रशर को प्रशासन ने बंद करा दिया था। 

बाद में राज्य सरकार और सीपीसीबी के अन्य आदेशों के चलते नमामि गंगे के मूल आदेश को दरकिनार कर धीरे-धीरे एक-एक कर सभी स्टोन क्रशर खुल गए। जिस पर मातृसदन लगातार आपत्ति जता रहा था। मातृसदन ने इसे लेकर वाद भी दायर किया। नमामि गंगे के महानिदेशक ने बताया कि सीपीसीबी के 23 अप्रैल के आदेश के बाद इस मामले में नमामि गंगे आदेश पुन: प्रभावी हो गया है। 

इससे इसे लेकर मातृसदन की आपत्ति दूर हो गई है। डीजी ने गुरुवार को स्वामी शिवानंद और  ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद से अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया। इस पर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए अपने निर्जल सत्याग्रह को एक सप्ताह के लिए टाल दिया है।

मातृसदन के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद और ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद ने बताया कि उनसे अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया गया था, जिसे उन्होंने मांग पूरी न होने पर ठुकरा दिया। हालांकि उन्होंने निर्जल सत्याग्रह को एक सप्ताह के लिए टाल दिया है। 

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