गिरासू भवनों से खतरे में जिदगी, निगम सर्वे कराने में भी पीछे
जागरण संवाददाता हरिद्वार नगर निगम की लचर कार्यशैली से शहर के पुराने मोहल्लों में पांच
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: नगर निगम की लचर कार्यशैली से शहर के पुराने मोहल्लों में पांच दशक पुराने जर्जर भवन लोगों की जान के लिए खतरा बने हैं। हर साल निगम मानसून से पहले गिरासू भवनों के सर्वे की बात तो करता है, लेकिन बरसात का सीजन निपटते ही मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है। जिससे स्थिति जस की तस बनी रहती है।
नगर निगम के पुराने क्षेत्रों कनखल, अग्रसेन चौक, अपर रोड, कनखल लाटोवाली, ऋषिकुल, ज्वालापुर के चाकलान आदि मोहल्लों में सैकड़ों जर्जर भवन लोगों के लिए खतरे का कारण बने हैं। मानसून से पहले नगर निगम गिरासू भवनों पर कार्रवाई की बात तो करता है लेकिन मानसून बीतने तक सर्वे पूरा होने का नाम नहीं लेता। इस साल तो और बुरी स्थिति रही। जुलाई महीने में आए नगर आयुक्त ने फिर नये सिरे से पुराने जर्जर भवनों के सर्वे कराने की बात कही, लेकिन समय पहले वह भी भूल गए। ऐसे में निगम केवल बहाने बनाकर जर्जर भवनों को न तो ध्वस्तीकरण कराने के लिए कदम बढ़ाता है और न ही इनके मालिक इसका जीर्णोद्धार कराकर इससे लोगों की हिफाजत का रास्ता खोलते हैं।
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नगर निगम भवन भी गिरासू की श्रेणी में
दूसरों के जर्जर भवनों को गिरासू घोषित करने वाले नगर निगम का 70 साल पुरानी बिल्डिंग खुद गिरासू भवनों की श्रेणी में है, लेकिन निगम ने अभी इसे गिरासू की श्रेणी में नहीं रखा है। इस भवन की हालत यह है कि दो साल पहले छत की प्लास्टर उखड़कर गिरने लगी थी, तब कर्मचारियों ने अपनी सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनकर काम किया था। इसके बाद किसी तरह कुछ कमरों की छत को हल्का मरम्मत कराकर उसकी रंगाई पुताई कर काम को निपटा दिया गया। नगर निगम चुनाव से पहले शहरी विकास मंत्री ने लाखों की लागत से निगम के नये भवन बनाने की आधारशिला भी रखी। लेकिन निगम चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की हार के बाद शहरी विकास मंत्री ने इस पर चुप्पी साध ली।
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नगर निगम क्षेत्र के गिरासू श्रेणी में आने वाले भवनों की फाइल संबंधित लिपिक से मंगाकर उसका अध्ययन करेंगे। जो भी उचित कदम होगा उठाया जाएगा। जहां तक निगम के पुराने भवन की बात है कई कमरों की मरम्मत होने से अब बरसात में पानी टपकने की स्थिति नहीं है। नये भवन के लिए शासन से पत्राचार करेंगे।
उदयसिंह राणा, नगर आयुक्त