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व्यवहार के अध्ययन को बारहसिंगा के लगाया रेडियो कॉलर

राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की टीम ने एक बारहसिंगा पर रेडियो कॉलर लगाने में सफलता मिली है। वन्यजीवों पर अध्ययन के हिसाब से रेडियो कॉलर तकनीक बेहतरीन माध्यम साबित हुई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 09:19 PM (IST)Updated: Sun, 03 Jun 2018 05:19 PM (IST)
व्यवहार के अध्ययन को बारहसिंगा के लगाया रेडियो कॉलर
व्यवहार के अध्ययन को बारहसिंगा के लगाया रेडियो कॉलर

हरिद्वार, [जेएनएन]: राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की टीम ने एक बारहसिंगा पर रेडियो कॉलर लगाने में सफलता हासिल की है। कुछ माह पहले भी राजाजी टाइगर रिजर्व पार्क की टीम ने एक जंगली हाथी पर रेडियो कॉलर लगाया था। वन्यजीवों पर अध्ययन के हिसाब से रेडियो कॉलर तकनीक बेहतरीन माध्यम साबित हुई है। अब वन महकमे ने इस तकनीक के तहत कार्य करना शुरू कर दिया है। 

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हरिद्वार के झिलमिल झील कंजर्वेसन रिजर्व में गुरुवार को वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के माध्यम से बारहसिंगा को ड्राइव नेट विधि के माध्यम से रेडियो कॉलर लगाया गया। इस कॉलर के माध्यम से महकमा विलुप्त हो रहे बारहसिंगों पर बारीकी से अध्ययन कर उनके संरक्षण और संवर्धन पर कार्य किया जाएगा। हालांकि इससे पूर्व आसाम के मानस सेंचुरी में भी बारहसिंगे को कॉलर लगाया गया था। वन्यजीव वैज्ञानिक विभास पांडु ने बताया कि यह विधि बेहतर होती है और इसमें वन्यजीव को नुकसान भी नहीं पहुंचता है। रेंज अधिकारी प्रदीप उनियाल ने बताया कि वर्ष 2005 में यहां पर बारहसिंगों की संख्या केवल 35 के करीब थी। वर्तमान में इनकी संख्या 300 से ऊपर है। अभी पांच और बारहसिंगों को कॉलर लगाया जाना है।

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