पति की मृत्यु के बाद बहू-बेटा बने तानाशाह, कई बार खाना तक नहीं दिया; कोर्ट ने घर से बेदखल करने के दिए आदेश
एक महिला ने अपने बेटे और बहू पर पति की मृत्यु के बाद दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया। उसने बताया कि उसे कई बार भोजन भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बहू-बेटे को घर से निकालने का आदेश दिया, क्योंकि माता-पिता के साथ ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है।

सांकेतिक तस्वीर।
जागरण संवाददाता, हरिद्वार : माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत उपजिलाधिकारी (एसडीएम) न्यायालय हरिद्वार ने एक संवेदनशील मामले में वृद्धा के पक्ष में निर्णय सुनाते हुए उसके बेटे और बहू को घर से बेदखल करने का आदेश दिया है। यह मामला उन कई घटनाओं में से एक है, जिनमें मां-बाप को उनके ही बच्चे अपमानित और प्रताड़ित कर रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, हरिद्वार तहसील निवासी एक संपन्न परिवार की वृद्धा ने अपने पति के साथ जीवनभर की कमाई से जमीन खरीदी, घर बनवाया और अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दिलाई। राज्य की अच्छी सरकारी सेवा से पति सेवानिवृत हुए तो ग्रेज्युटी की धनराशि बेटा-बेटियों को बांटी।
वृद्धा ने एसडीएम कोर्ट में लगाई गुहार
पति की मृत्यु के बाद उनके एक बेटे ने उन्हें लगातार अपमानित करना शुरू कर दिया और घर में बेटा व बहू तानाशाह बन गए। बहू-बेटे की मार, धमकी मिलने के साथ कई बार खाना न मिलने पर वृद्धा ने आखिरकार न्याय की गुहार एसडीएम कोर्ट में लगाई। मामले की सुनवाई के बाद एसडीएम जितेंद्र कुमार ने वृद्धा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बेटे व बहू को घर से बाहर करने का आदेश दिया।
एक माह में 13 मामले आए अदालत में
एसडीएम न्यायालय में ऐसे कई प्रकरण सामने आए हैं, जिनमें जीवन भर की कमाई बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए खर्च करने वाले माता-पिता ने अपने ही बच्चों द्वारा किए गए अत्याचार की व्यथा सुनाई। बीते एक माह में कुल 13 मामले अदालत के समक्ष आए, जिनमें 10 मामलों में वृद्धों की उम्र 60 वर्ष से अधिक पाई गई। तीन मामलों को आयु सीमा के कारण निरस्त किया गया।
माता-पिता को भोजन से रखा वंचित
कुछ मामलों में स्थिति और भी दर्दनाक थी, बेटे व बहू ने अपने माता-पिता को भोजन-पानी तक से वंचित कर दिया। वहीं एक अन्य मामले में माता-पिता और बहू के बीच संपत्ति विवाद में एसडीएम ने संतुलित निर्णय देते हुए बहू और उसके बच्चों के अधिकारों की रक्षा भी की। बेटे ने कई वर्षों से अपनी पत्नी व बच्चों को छोड़ा हुआ है।
संगठन ने एसडीएम को दिया धन्यवाद
हरिद्वार के वरिष्ठ नागरिक संगठन ने एक माह के भीतर सुनाए गए इन मानवीय व संवेदनशील निर्णयों के लिए एसडीएम जितेंद्र कुमार को धन्यवाद दिया है। वरिष्ठ नागरिक संगठन ने कहा कि ऐसे आदेश समाज के लिए उदाहरण बनेंगे और उन असंवेदनशील संतानों को सबक देंगे, जो अपने ही माता-पिता को अपमानित कर रहे हैं।

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