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तन को निरोगी, मन को महका रही इंदौरिया की बगिया; यहां की खूबसूरती देख आप भी कह उठेंगे वाह

हरिद्वार में कांवड़ पटरी पर हरियाली और फूलों की खुशबू से महकती एक वाटिका अनायास ही राहगीरों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। यहां योग और पर्यावरण की गंगा बहा रहे हरमीत इंदौरिया की कड़ी मेहनत ने वह कर दिखाया जो अममून स्लोगन या बैनर पर लिखा नजर आता है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 24 Nov 2020 08:52 AM (IST)Updated: Tue, 24 Nov 2020 03:25 PM (IST)
तन को निरोगी, मन को महका रही इंदौरिया की बगिया; यहां की खूबसूरती देख आप भी कह उठेंगे वाह
तन को निरोगी, मन को महका रही इंदौरिया की बगिया। जागरण

हरिद्वार, मेहताब आलम। उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में गंगनहर चौड़ीकरण के बाद बेनूर हुई कांवड़ पटरी पर हरियाली और फूलों की खुशबू से महकती एक वाटिका अनायास ही राहगीरों का ध्यान अपनी ओर खींचती है। धर्मनगरी में योग और पर्यावरण की गंगा बहा रहे हरमीत इंदौरिया की कड़ी मेहनत ने वह कर दिखाया, जो अममून स्लोगन या बैनर पर लिखा नजर आता है। हरियाली से पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देने के साथ ही हरमीत रोजाना योग सिखाकर लोगों को स्वस्थ और निरोगी बना रहे हैं।

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राम-रामजी योग सर्वांगीण विकास संस्था के संस्थापक और सचिव हरमीत इंदौरिया यूं तो कनखल हरे राम आश्रम की दुकान में जूस-शिकंजी का कारोबार करते हैं। पर तन-मन-धन से वह योग और पर्यावरण को समर्पित हैं। हरमीत इंदौरिया ने वर्ष 2012 में प्रेमनगर आश्रम में निशुल्क योग सिखाने की शुरूआत की।

साल 2014-15 में गंगनहर चौड़ीकरण से हरी-भरी कांवड़ पटरी की हरियाली को तहस-नहस कर दिया। हरमीत इंदौरिया के मन में यह बात टीस की तरह लगी और उन्होंने बदरंग नहर पटरी को फिर से हरा-भरा करने का बीड़ा उठा लिया। इसकी शुरुआत सिंहद्वार के पास वाटिका के तौर पर की। 

हरमीत दुकान से समय बचाकर सीधे वाटिका पहुंचते और पौधों की निराई-गुड़ाई-सिंचाई आदि कार्य करते हैं। पिछले छह माह से तो हरमीत का ज्यादातर समय वाटिका में पौधों की देखभाल में ही गुजरा है। यहां सुबह-सुबह आम लोगों को योग का अभ्यास कराते हैं। हरमीत इंदौरिया के जुनून ने आस-पास का नजारा ही बदलकर रख दिया है।

 

हरमीत बताते हैं कि वाटिका में आम, बड़, पीपल, पिलखन, मेंहदी, यूकेलिप्टिस, खैर, जामुन, हरड़, मौलसरी जैसे तकरीबन 40 प्रजाति के पौधे हैं। वह चाहते हैं कि डामकोठी से लेकर जटवाड़ा पुल तक गंगनहर पटरी अपने पुराने स्वरूप में जीवित हो।

शासन-प्रशासन को चाहिए कि सामाजिक संस्थाओं को नहर पटरी अलग-अलग हिस्सों में गोद दे दी जाए। उन्होंने बताया कि इस बारे में अधिकारियों से कई बार बातचीत हुई है, लेकिन अभी कोई सहमति नहीं बन सकी है।

मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं सैकड़ों लोग

गंगनहर पटरी पर सैकड़ों लोग मॉर्निंग वॉक के लिए आते हैं। लेकिन नहर चौड़ीकरण के बाद पटरी पर धूल मिट्टी ज्यादा रहती है। लोग अपने स्वास्थ्य के लिए वॉक करने आते हैं, मगर धूल-मिट्टी के कण लेकर वापस जाते हैं। जबकि चौड़ीकरण से पहले नहर पटरी पर हरियाली, पथ प्रकाश आदि की पूरी व्यवस्था थी।

हरमीत इंदौरिया शहर के नागरिकों और संस्थाओं से भी अपील करते हैं कि कांवड़ पटरी को पहले जैसा हरा-भरा बनाने के लिए आगे आएं। मुहिम में सहयोग देने वाले लोगों का भी हरमीत आभार जताते हैं।

लोग नाम सुनकर आएं घूमने

हरमीत बताते हैं कि चंडीगढ़ शहर जाने से पहले लोग रोज गार्डन जैसी घूमने वाली जगहों के बारे में पता करते हैं। वह चाहते हैं कि जब भी कोई श्रद्धालु या पर्यटक हरिद्वार घूमने आए तो हरियाली का नाम सुनकर घूमने आए। इंदौरिया चाहते हैं कि गंदगी में तब्दील हो रही शहर की हर खाली जगह को हरियाली के तौर पर विकसित किया जाए और हर व्यक्ति योग कर निरोग रहे।

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