अफसरों से खाली रुड़की तहसील
प्रदेश की महत्वपूर्ण तहसील रुड़की अफसरों से खाली है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को छोड़कर शेष पद रिक्त पड़े हैं। प्रभारी तहसीलदार भी पांच दिन बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
जागरण संवाददाता, रुड़की : प्रदेश की महत्वपूर्ण तहसील रुड़की अफसरों से खाली है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट को छोड़कर शेष पद रिक्त पड़े हैं। प्रभारी तहसीलदार भी पांच दिन बाद सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
अविभाजित प्रदेश से ही रुड़की तहसील महत्वपूर्ण रही है। यहां पर उपजिलाधिकारी के रूप में आइएएस की तैनाती की जाती है। इतना ही नहीं यहां पर पोस्टिंग पाने के लिए अफसर जतन करते नजर आते हैं। पिछले कुछ समय से इस तहसील की उपेक्षा लगातार की जा रही है। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के पद पर नमामि बंसल कार्यरत हैं, लेकिन अपर उपजिलाधिकारी (एएसडीएम) का पद खाली पड़ा हुआ है। पूर्व में तैनात रहे एएसडीएम गोपाल सिंह चौहान के सदर एसडीएम बनने के बाद से किसी की भी तैनाती नहीं हुई है। चार माह पूर्व जिलाधिकारी ने तहसीलदारों के कार्य क्षेत्र में बदलाव करते हुए लक्सर तहसीलदार सुनैना राणा को यहां पर तैनाती दी थी, लेकिन कुछ दिन पहले नैनीताल से लौटते समय उनकी गाड़ी बिजनौर में नहर में गिर गई, बाद में उनका शव नहर से मिला था। फौरी तौर पर अपर तहसीलदार केएन पंत को रुड़की का प्रभारी तहसीलदार बना दिया। हालांकि वह भी इस माह के अंत तक सेवानिवृत्त हो जाएंगे। तीन नायब तहसीलदार के पद भी रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में यहां पर तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कोरोना संक्रमण के अलावा दरगाह पिरान कलियर का सालाना उर्स भी चल रहा है। वहीं एएसडीएम, तहसीलदार की अदालतों के कामकाज नहीं हो पा रहे हैं। जिसकी वजह से काफी वाद लंबित पड़े हुए हैं। स्थित यह है कि जल्द किसी की तैनाती नहीं हुई तो तहसीलदार का चार्ज किसी कानूनगो को देना पड़ेगा। रुड़की विधायक प्रदीप बत्रा ने बताया कि उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है। वहीं सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने बताया कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है। जल्द ही यहां पर अफसरों की तैनाती होगी।
-----
भगवानपुर में भी खाली है पद
रुड़की : भगवानपुर तहसील में भी तहसीलदार का पद खाली पड़ा हुआ है। यहां पर नायब तहसीलदार को ही तहसील का चार्ज दिया गया है। पिछले दिनों उप जिलाधिकारी एवं तहसीलदार दोनों के कोरोना संक्रमित होने के चलते तहसील में कामकाज ठप हो गया था। विभाग कोई वैकल्पिक व्यवस्था तक नहीं कर सका था। इससे वादकारियों एवं फरियादियों को परेशानी उठानी पड़ी।