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Road Safety With Jagran : रुड़की एआरटीओ ने सुझाया, टोल नाकों से ही रोकी जा सकती है ओवरलोडिंग

Road Safety With Jagran दैनिक जागरण की टीम की ओर से विशेषज्ञों के साथ किए गए सड़कों के सर्वे के दौरान कई तरह की खामियां देखने को मिली हैं। इस संबंध में रुड़की में एआरटीओ प्रवर्तन कुलवंत सिंह चौहान ने कुछ सवालों के जवाब दिए।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Sat, 26 Nov 2022 11:05 AM (IST)Updated: Sat, 26 Nov 2022 11:05 AM (IST)
Road Safety With Jagran : रुड़की एआरटीओ ने सुझाया, टोल नाकों से ही रोकी जा सकती है ओवरलोडिंग
Road Safety With Jagran : रुड़की में एआरटीओ प्रवर्तन कुलवंत सिंह चौहान

जागरण संवाददाता, रुड़की: Road Safety With Jagran : दैनिक जागरण की टीम की ओर से विशेषज्ञों के साथ किए गए सड़कों के सर्वे के दौरान कई तरह की खामियां देखने को मिली हैं। इसमें एआरटीओ के स्तर से कई खामियों को दूर किया जा सकता है, लेकिन किया नहीं जा रहा। इस संबंध में रुड़की में एआरटीओ प्रवर्तन कुलवंत सिंह चौहान ने कुछ सवालों के जवाब दिए।

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प्रश्न: सड़क दुर्घटना की सबसे बड़ी वजह ओवरलोड वाहन होते हैं। अमूमन सड़कों पर ओवरलोड वाहनों की संख्या काफी अधिक रहती है। गन्ने की ट्रैक्टर-ट्राली में बाड़ी से बाहर गन्ना होता है। इसी तरह ट्रकों में क्षमता से अधिक सामान लादा जाता है, जिसकी वजह से कई बार चालक का वाहन से नियंत्रण समाप्त हो जाता है?

उत्तर: विभाग की ओर से ओवरलोड वाहनों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत करीब तीन हजार चालान किए गए हैं। दरअसल, ओवरलोड वाहनों को टोल नाकों पर ही रोका जा सकता है। इसके अलावा उप्र में ओवरलोड वाहनों पर 20 हजार का जुर्माना लगता है, जिससे चालक डरता है। वहीं उत्तराखंड में यह जुर्माना पांच हजार रुपये है।

प्रश्न: ओवरस्पीड पर लगाम क्यों नहीं लग रहा है। विभाग के पास इंटरसेप्टर भी पूरे समय नहीं रहता है, इसकी क्या वजह है?

उत्तर: परिवहन विभाग की ओर से लगातार अभियान चलाया जा रहा है। जनवरी से अक्टूबर के महीने तक विभाग की ओर से ओवरस्पीड में 3760 वाहनों के चालान काटे गए हैं। हालांकि चालकों को लगातार जागरूक किया जाता रहता है। बीच में गाड़ी के दुर्घटनाग्रस्त होने की वजह से चेकिंग प्रभावित रही थी, लेकिन फिर से अभियान तेज कर दिया गया है।

प्रश्न: वाहन चालक क्यों यातायात नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं, क्या विभाग का डर नहीं है?

उत्तर: दरअसल, विभाग की ओर से भी लगातार यातायात नियमों का पालन कराने के लिए जागरूकता अभियान संचालित किया जा रहा है। वाहन चालकों को समझना होगा कि तेज गति उन्हें सुरक्षित घर नहीं, बल्कि अस्पताल जरूर ले जाएगी। इसलिए गति पर नियंत्रण के साथ वाहनों की फिटनेस जरूरी है। चौपहिया वाहन चालक अक्सर सीट बेल्ट नहीं लगाते हैं। इस साल अक्टूबर तक 946 चालान सीट बेल्ट ना लगाने पर काटे गए हैं।

प्रश्न: विभाग के दावों के बावजूद सड़क हादसों में कमी क्यों नहीं आ रही है?

उत्तर: विभाग तो अपना दायित्व निभा रहा है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी कमी वाहन चालकों की है। अभिभावकों को बच्चों को हाईस्पीड वाहन नहीं देना चाहिए। जब तक बच्चे का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं बन जाता उसे साइकिल दी जाए। इसके अलावा बच्चों को इलेक्ट्रानिक दोपहिया वाहन दें, जिसकी स्पीड कम है। इसी तरह चौपहिया वाहन चालकों को भी समझना चाहिए कि वह गति सीमा में रहें और सुरक्षित चलें क्योंकि घर पर उनका कोई इंतजार कर रहा है।

प्रश्न: विभाग डग्गामारी पर अंकुश क्यों नहीं लगा पा रहा है। लगातार जुगाड़ एवं डग्गामार वाहन संपर्क मार्ग से लेकर राजमार्ग पर दौड़ते हैं?

उत्तर: विभाग इस ओर कार्रवाई करता है। पिछले दिनों नारसन क्षेत्र में कार्रवाई की गई तो एक किसान संगठन की ओर से दफ्तर पर धरना दिया गया। इसके अलावा अभी उतने संसाधन भी नहीं हैं। वाहनों को सीज करने के दौरान उन्हें खड़ा करने में परेशानी होती है।


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