Ramadan 2020: लॉकडाउन में खास बना रमजान, ईद की खुशियां गरीबों पर कुर्बान
रमजान को इस बार लॉकडाउन ने कुछ खास बना दिया। रोजेदारों को इबादत के लिए माकूल वक्त और गरीब असहाय और जरूरतमंदों की मदद का सुनहरा मौका भी लॉकडाउन की बदौलत मिला।
हरिद्वार, मेहताब आलम। कहा जाता है कि बुरे वक्त में भी कोई न कोई अच्छी बात जरूर होती है। आखिरी अशरे में दाखिल हो चुके रमजान को इस बार लॉकडाउन ने कुछ खास बना दिया। रोजेदारों को इबादत के लिए माकूल वक्त और गरीब, असहाय और जरूरतमंदों की मदद का सुनहरा मौका भी लॉकडाउन की बदौलत मिला। रोजेदारों ने रोजा, नमाज, कुरआन की तिलावत करने के साथ ही जरूरतमंदों की भी दिल खोलकर मदद की। नौजवानों ने ईद की खरीदारी में खर्च होने वाली रकम से गरीबों की जिंदगी में मिठास घोलने की तैयारी की है।
इस्लाम में रमजान को सब महीनों में अफजल बताया गया है। पवित्र किताब कुरआन भी इसी महीने में मुकम्मल हुई। पांच वक्त की नमाज की तरह रमजान माह में पूरे रोजे रखना हर बालिग मुस्लिम के लिए फर्ज हैं। सक्षम और मालदार लोगों के लिए अपनी संपत्ति की कुल कीमत का ढाई फीसद जकात (दान) के तौर पर निकालना जरूरी बताया गया है। चूंकि रमजान में नेकी का सवाब 70 गुना बढ़ा दिया जाता है, इसलिए अमूमन लोग रमजान में ही जकात देते हैं।
इस बार लॉकडाउन के बीच 25 अप्रैल से रमजान शुरू हुआ। लिहाजा, पहले से जरूरतमंदों की मदद में जुटे लोगों ने रमजान में इसका दायरा और बढ़ाया। जिले में हजारों की तादाद में रोजेदार अपनी जकात के पैसे से राशन, फल, सब्जियां गरीब व जरूरतमंद लोगों को बांटने में जुटे हैं। रमजान के तीसरे हिस्से में ईद की तैयारियां शुरू हो जाती हैं, लेकिन इस बार ज्वालापुर के कुछ मुस्लिम नौजवानों ने ईद पर नए कपड़े, जूते आदि पर खर्च होने वाली रकम को गरीबों पर खर्च करने का ऐलान किया है।
ज्वालापुर निवासी अरशद ख्वाजा, एडवोकेट सलमान अहमद, आकिब मंसूरी, चांद, शाहवेज, आलिब, कुरबान एडवोकेट का कहना है कि ईद पर नए कपड़े तो हर खरीदते हैं, लॉकडाउन में हजारों लोगों के खाने पीने पर संकट है। इसलिए इस बार ईद पर खर्च होने वाले पैसों को भी जरूरतमंदों की मदद में खर्च किया जाएगा। गौरतलब है कि आजकल कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन चल रहा है। इसी के मद्देनजर सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जा रहे हैं।
मिशन के तौर पर की गरीबों की मदद
हरिद्वार के ज्वालापुर में अंजुमन गुलामाने मुस्तुफा कमेटी पूरे लॉकडाउन जरूरतमंदों के लिए मददगार साबित हुई। हाजी शादाब कुरैशी, हाजी अनीस खान, ठेकेदार अकबर खान, हाजी शाहबुद्दीन अंसारी, बाबर खान, नईम कुरैशी, मकबूल कुरैशी, असद मसूद, अनीस पीरजी, अहसान अंसारी, हाजी कासिम, चांद मुबारिक, इसरार अहमद, आदि ने बिना भेदभाव बड़े पैमाने पर जरूरतमंदों की मिशन के तौर पर मदद की।
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उलेमा भी लगातार कर रहे अपील
ईद को लेकर उलेमाओं की ओर से भी लगातार रोजेदारों से यह अपील की जा रही है कि सक्षम लोग सिर्फ अपनी खुशियों का ख्याल न रखें, बल्कि अपने आस पास के जरूरतमंदों का ध्यान रखना उनकी जिम्मेदारी है। दारुल उलूम देवबंद के अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के सूबाई सदर मौलाना आरिफ कासमी, मौलाना शराफत अली, मौलाना इकबाल कासमी ने भी लोगों से यह अपील की है ईद पर खर्च होने वाली रकम को गरीबों पर खर्च किया जाए।
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