वितरण केंद्र में धूल फांक रही 40 लाख की किताबें
संवाद सहयोगी, रुड़की: प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था यूं ही बदनाम नहीं है। रुड़की स्थित जिला पाठ्
संवाद सहयोगी, रुड़की: प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का हाल बुरा है। जिला पाठ्य पुस्तक वितरण केंद्र इसकी पोल खोल रहा है। यहां धूल फांक रही लाखों की किताबें बता रही है कि उनका कोई सुधलेवा नहीं है। यह हाल तब है जब उच्च अधिकारियों की ओर से विद्यालय प्रशासन को किताबों के समुचित प्रबंधन के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षा सत्र 2018-19 से पहले पाठ्य पुस्तकों का वितरण जिला पाठ्य पुस्तक केंद्र रामनगर रुड़की से होता था। यहां से सभी छह ब्लॉकों को किताबें जाती थी। लेकिन डायरेक्ट बैनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) योजना के शुरू हो जाने से यह व्यवस्था बंद हो गई। अब छात्रों के खाते में इस योजना के तहत सीधे किताबों का पैसा भेजा जाता है। हालांकि इस योजना को लागू करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। आधे से ज्यादा शिक्षा सत्र छात्रों ने बिना किताबों के ही बिताया है। हरिद्वार जिले में अभी तमाम छात्र ऐसे हैं, जिनके खाते नहीं खुल पाए हैं। डीबीटी योजना के चलते जिला पाठ्य पुस्तक वितरण केंद्र में रखी करीब दो लाख किताबें पहले की तरह नहीं बंट पाई। जिला शिक्षा अधिकारी ब्रह्मपाल ¨सह सैनी ने इसके संबंध में स्कूलों को निर्देश दिया था कि वह वितरण केंद्र से विषयवार कुछ किताबें लेकर आएं। इसके अलावा स्कूल में एक लाइब्रेरी बनाकर इन किताबों को संभालकर रखें। ताकि छात्र इनका लाभ उठा सकें, लेकिन कुछ स्कूलों को छोड़कर अधिकांश ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ली। जिसका खामियाजा आज छात्र भुगत रहे हैं। केंद्र में फिलहाल करीब दो लाख किताबें रखी हैं। जिनकी कीमत करीब 40 लाख रुपये है।
----------
जिला पाठ्य पुस्तक वितरण केंद्र में कितनी किताबें रखी हैं। विषय और कक्षावार उनकी जानकारी मांगी जा रही है। इसके बाद उच्चाधिकारियों को इस संबंध में जानकारी देकर निर्देश प्राप्त किए जाएंगे।
-ब्रह्मपाल ¨सह सैनी, जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक, हरिद्वार