स्पर्श गंगा: गंगा की स्वच्छता को उठे हाथ और कारवां बनता चला गया
हरिद्वार से शुरू हुआ 'स्पर्श गंगा' अभियान गंगा के बहने वाले पांच राज्यों तक में फैल चुका है। अभियान की खास बात इसके काम की निरंतरता का बना रहना है।
हरिद्वार, [अनूप कुमार]: पतित पावनी गंगा की निर्मलता और स्वच्छता को लेकर युवा एकजुट हुए तो कारवां बनता चले गया। इस काम ने पिछले एक साल में 'स्पर्श गंगा' के नाम से आंदोलन का रूप धारण कर लिया है। हरिद्वार से शुरू हुआ यह अभियान गंगा के बहने वाले पांच राज्यों तक में फैल चुका है। अभियान की खास बात इसके काम की निरंतरता का बना रहना है। अभियान की इस खासियत ने आम जनता के साथ-साथ खास को भी प्रभावित किया।
अभिनेत्री और भाजपा सांसद हेमा मालिनी, योगगुरु बाबा रामदेव, केंद्रीय मंत्री उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री भाजपा सांसद डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक, महानिदेशक नमामी गंगे यूपी सिंह और अभिनेता विवेक ओबराय भी इससे जुड़ गए। ये सभी जब भी मौका मिलता है, पांच राज्यों में चलने वाले इस अभियान में कहीं पर भी खुद को शामिल कर लेते हैं।
गंगा की पवित्रता और निर्मलता को लेकर स्पर्श गंगा अभियान की शुरुआत शिखर पालीवाल ने 18 अगस्त 2016 को हरिद्वार से की थी। अभियान के संयोजक 28 वर्षीय युवा शिखर इंजीनियर हैं। उन्होंने एमबीए भी किया। इसके बाद नौकरी करने की बजाए उन्होंने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाना उचित समझा। शिखर बताते हैं कि काम से बचे समय का वे क्या करें, इसे लेकर मन में हमेशा से सोच-विचार चलता रहता था।
बाकी युवाओं की तरह घूमने और पार्टी का उन्हें कोई शौक नहीं था। हरिद्वार में गंगा की दुर्दशा देख उनके मन में युवाओं को साथ लेकर इस दिशा में काम करने का विचार आया। शुरू में इससे कम लोग जुड़े, लेकिन बाद में कारवां बनता चले गया। अब हर रविवार को पांच राज्यों के 87 स्थानों पर एक साथ लोग गंगा की पवित्रता और निर्मलता को इस महाभियान का हिस्सा बनते हैं।
टीम स्पर्श गंगा का उद्देश्य
हर रविवार एक समय पर, एक साथ पांच राज्यों में पूरी गंगा और उनकी सहायक नदियों के दोनों तरफ गंगा प्रहरी के तौर मां गंगा की सेवा करें, उसकी पवित्रता और निर्मलता की रक्षा करें, लोगों में जागरूकता फैलाकर अधिक से अधिक लोगों को इसके लिए प्रेरित करें।
स्पर्श गंगा के अब तक के कार्य
हर रविवार श्रमदान, गंगा स्वच्छता, जागरूकता, गंगा में जाने वाले जैविक व अजैविक वेस्ट का निस्तारण, बीओडी लेवल पर रिपोर्ट, गंगा में जाने वाले सीवर की जीपीएस मैपिंग एवं टैपिंग, सैंपलिंग, घाट का सौंदर्यीकरण।
यह भी पढ़ें: यहां पेड़-पौधे सिखा रहे जीवन जीने को संघर्ष के मायने
यह भी पढ़ें: यहां जिंदगी खत्म होने के बाद भी रहती है जिंदा...
यह भी पढ़ें: साढ़े छह हजार फीट ऊंची पहाड़ी को हराभरा करने को आगे आए युवा