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श्रद्धा से बना श्राद्ध,सोलह दिन होंगे पितरों के नाम

जागरण संवाददाता, रुड़की: श्रद्धा शब्द से बने श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ इस वर्ष 24 सितंबर से होगा। जबकि

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 08:11 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 08:11 PM (IST)
श्रद्धा से बना श्राद्ध,सोलह दिन होंगे पितरों के नाम
श्रद्धा से बना श्राद्ध,सोलह दिन होंगे पितरों के नाम

जागरण संवाददाता, रुड़की: श्रद्धा शब्द से बने श्राद्ध पक्ष का प्रारंभ इस वर्ष 24 सितंबर से होगा। जबकि नौ अक्टूबर को अमावस्या को पितृ पक्ष संपन्न होंगे। पितृ पक्ष को महात्मय भी कहा जाता है। साथ ही ऐसा माना जाता है कि इस दौरान यमराज से मुक्ति पाकर पितृ सूक्ष्म रूप से पृथ्वी पर आते हैं।

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24 सितंबर से लेकर नौ अक्टूबर तक ये सोलह दिन पितरों के नाम होंगे। पितृ पक्ष में शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। इन सोलह दिनों में केवल पितरों के लिए श्राद्ध एवं तर्पण आदि कार्य किए जाते हैं। पितरों के निमित्त श्रद्धापूर्वक किए गए तर्पण और दान को ही श्राद्ध कहा जाता है। आइआइटी रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल के अनुसार श्राद्ध करने से व्यक्ति तीनों ऋणों से मुक्त हो जाता है। तर्पण, अन्न दान, ब्राह्मण भोजन और पंच बलि आदि कर्म करने से पितरों को संतुष्टि मिलती है और पितर ऋण से भी मुक्ति मिलती है। तिथियों के घट-बढ़ के कारण अमावस्या दो दिन रहेगी। आठ अक्टूबर को मध्याह्न ब्यापिनी होने से सर्वपितृ श्राद्ध एवं विसर्जन करना उचित रहेगा। नौ अक्टूबर को अमावस्या मध्याह्न काल में नहीं रहेगी। साकेत स्थित दुर्गा चौक मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली के अनुसार श्राद्ध पक्ष में सिर्फ पितरों के निमित्त ही कार्य किए जाने चाहिए।

मध्याह्न काल होता है उत्तम

पितरों को उनकी तिथि के अनुसार माता एवं पिता दोनों पक्षों के गोत्रों का नाम और गोत्र उच्चारण करते हुए तिल मिश्रित जलांजलि (तर्पण) देना चाहिए। ब्राह्मण को निमंत्रण देकर भोजन करवाना चाहिए। पिता एवं माता पक्ष के तीन पीढि़यों के पितरों का श्राद्ध करना आवश्यक होता है। शास्त्रानुसार श्राद्ध करने के लिए कुतप (मध्याह्न) काल उत्तम होता है।


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