पतंजलि की डिस्ट्रीब्यूटरशिप के नाम पर दो लाख ठगे
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिलाने के ना
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड कंपनी की डिस्ट्रीब्यूटरशिप दिलाने के नाम पर दो लाख रुपये की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पतंजलि के बारे में आनलाइन जानकारी जुटाने के बाद पीड़ित ठग गिरोह के चंगुल में जा फंसा। ठगों ने पतंजलि के अफसर बनकर अलग-अलग खातों में दो लाख रुपये जमा करा लिए। इस मामले में ज्वालापुर पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।
पुलिस के मुताबिक सुमित राज पुत्र अशोक राज निवासी वडेरा नर्सिंग होम के सामने आर्यनगर ज्वालापुर ने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर बताया कि उसे पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड की हरिद्वार डिस्ट्रीब्यूटरशिप हरिद्वार में रिक्त होने की जानकारी मिली थी। डिस्ट्रीब्यूटरशिप लेने के लिए ऑनलाइन पता किया गया तो कुछ मोबाइल नंबर मिले। एक नंबर पर बात होने पर उस व्यक्ति ने अपना नाम अनिल शर्मा और खुद को पतंजलि का मार्केटिंग अफसर बताया। 15 नवंबर 2017 को उसने संजीव घोष नामक व्यक्ति के बैंक खाते में 25 हजार रुपये डलवाए। अनिल ने अपने अधिकारी सौरभ बुधकर से बात कराई। जिसके बाद सौरभ बुधकर ने डिस्ट्रीब्यूटरशिप फाइनल करते हुए सिक्योरिटी के तौर पर 1.75 लाख रुपये जमा कराने को कहा। सुमित ने एक्सिस बैंक से पर्सनल लोन लेकर पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के ओबीसी बहादराबाद के खाते में जमा कराए, लेकिन बाद में उन्होंने फोन उठाने बंद कर दिए। थक हारकर सुमित खुद पतंजलि आयुर्वेद पहुंचे। वहां पता चला कि रकम जमा कराने वालों का पतंजलि से कोई वास्ता नहीं है। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज न होने पर सुमित ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। द्वितीय अपर सिविल जज जेडी ने पुलिस को मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए। पुलिस ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, संजीव घोष, करमजीत निवासी स्ट्रीट नंबर आठ बहादुर नगर, निकट गुरुद्वारा लुधियाना, ओबीसी बहादराबाद के एक कर्मचारी, एसबीआइ हरिद्वार के एक कर्मचारी व एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। ज्वालापुर कोतवाल अमरजीत ¨सह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
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जालसाजी में बैंककर्मियों का भी हाथ
हरिद्वार: सुमित के मुताबिक अपना नाम अनिल व सौरभ बताने वाले व्यक्तियों से बातचीत होने पर उन्होंने ओरिएंटल बैंक आफ कॉमर्स की बहादराबाद शाखा का आइएफएससी कोड बताया था। उसने एसबीआइ हरिद्वार से जब रकम जमा कराई, तब भी आइएफएससी कोड ओबीसी बहादराबाद का बताया गया। लेकिन बाद में कोड तो ओबीसी बहादराबाद का निकला, पर खाता करमजीत निवासी लुधियाना का निकला। ओबीसी बहदराबाद के आइएफएसी कोड पर रकम लुधियाना के बैंक खाते में कैसे ट्रांसफर हो गई। इसलिए सुमित को शक है कि ठगी में बैंककर्मियों की भी मिलीभगत है। इसी कारण उसने मुकदमे में एसबीआइ हरिद्वार व ओबीसी बहादराबाद के एक-एक कर्मचारी को भी शामिल किया है।