अभिभावक स्कूलों से मांग रहे बच्चों की सुरक्षा गारंटी
ल खोले जाने के निर्देशों ने अभिभावकों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। वे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चितित हैं। उनका कहना है कि अधूरी तैयारियों के बीच स्कूलों में बच्चों को बुलाना भारी पड़ सकता है। स्कूल प्रबंधन को सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम रखने होंगे। ताकि बच्चों तक कोविड-19 का संक्रमण न पहुंच सके।
संवाद सहयोगी, रुड़की: कोविड-19 के बीच आंशिक तौर पर स्कूल खोले जाने के निर्देशों ने अभिभावकों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। वे बच्चों की सुरक्षा को लेकर चितित हैं। उनका कहना है कि अधूरी तैयारियों के बीच स्कूलों में बच्चों को बुलाना भारी पड़ सकता है। स्कूल प्रबंधन को सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम रखने होंगे। ताकि बच्चों तक कोविड-19 का संक्रमण न पहुंच सके। कोविड-19 के चलते बच्चों की पढ़ाई में दिक्कतें पेश आ रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है। हालांकि स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं चलाकर बच्चों की पढ़ाई को नियमित करने का प्रयास कर रहे हैं। कोरोना के बीच स्कूलों का खोला जाना बहुत बड़ा कदम है। इसके लिए स्कूलों को पुख्ता तैयारियां रखनी होंगी। जरा भी लापरवाही इसमें भारी पड़ सकती है।
डॉ. राजेश चंद्र पालीवाल, अभिभावक
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21 सितंबर से कक्षा नौ से 12 तक के बच्चों के लिए आंशिक तौर पर स्कूल खोलने का जो निर्णय लिया है। इसको लेकर अभिभावक बेहद दुविधा में हैं। एक तरफ बच्चों की पढ़ाई है। जबकि दूसरी ओर बच्चों की सुरक्षा। स्कूलों को इसके लिए अच्छे इंतजाम करने होंगे। अभिभावकों को विश्वास दिलाना होगा कि उनके बच्चे सुरक्षित रहेंगे।
डॉ. अशोक चौहान, अभिभावक
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कोरोना इस समय पूरे चरम पर है। कब कौन इससे संक्रमित हो जाए यह कहना मुश्किल है। ऐसे समय में स्कूलों का खोला जाना बेहद जोखिम भरा है। स्कूलों में बच्चे दो गज की दूरी कैसे बनाकर रखेंगे। इसको लेकर बहुत से सवाल हैं। ऐसे में स्कूलों को पूरी निगरानी और सावधानी रखनी होगी। क्योंकि इस मामले में एक छोटी सी भी लापरवाही न जाने कितने बच्चों को संक्रमित कर देगी।
विपिन शर्मा, अभिभावक
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तमाम सावधानियों के बाद भी कोरोना से बच पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में स्कूल में किस प्रकार से बच्चों का ध्यान रख पाएंगे। इसको लेकर स्कूलों को पहले अभिभावकों के साथ एक बैठक करनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि वह किस प्रकार से बच्चों की सुरक्षा करेंगे। अभिभावकों को इसके लिए संतुष्ट करना होगा। तभी अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने के लिए विचार कर सकेंगे।
प्रदीप मधुवाल, अभिभावक