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हरिद्वार में उपभोक्ता फोरम के खाते से एक करोड़ रुपये गायब, पढ़िए पूरी खबर

हरिद्वार में जिला उपभोक्ता फोरम के बैंक खाते से करीब 1.10 करोड़ रुपये निकालने का मामला सामने आया है। फोरम के फर्जी चेक लगाकर अलग-अलग छह किश्तों में यह रकम निकाली गई है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Thu, 07 Nov 2019 08:02 PM (IST)Updated: Thu, 07 Nov 2019 09:30 PM (IST)
हरिद्वार में उपभोक्ता फोरम के खाते से एक करोड़ रुपये गायब, पढ़िए पूरी खबर
हरिद्वार में उपभोक्ता फोरम के खाते से एक करोड़ रुपये गायब, पढ़िए पूरी खबर

हरिद्वार, जेएनएन। जिला उपभोक्ता फोरम के बैंक खाते से करीब 1.10 करोड़ रुपये निकालने का मामला सामने आया है। फोरम के फर्जी चेक लगाकर अलग-अलग छह किश्तों में यह रकम निकाली गई है। उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष कंवर सेन की ओर से सिडकुल थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी है।

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जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष कंवर सेन ने पुलिस को तहरीर देकर बताया कि फोरम का बैंक खाता पीएनबी की विकास भवन शाखा में है। बीते 30 सितंबर से 15 अक्टूबर के बीच बैंक खाते से किसी ने छह अलग-अलग फर्जी चेक लगाकर करीब 1.10 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं, जबकि फोरम की चेक बुक कार्यालय में मौजूद है और उस चेकबुक से किसी भी व्यक्ति को चेक नहीं दिए गए हैं। फोरम अध्यक्ष कंवर सेन ने बताया कि उन्होंने इस बारे में चार नवंबर को बैंक अधिकारियों को लिखित सूचना देकर अवगत कराया, लेकिन खाते में रकम वापस नहीं आई। तब पुलिस को तहरीर दी गई। पुलिस ने तहरीर के आधार पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया है।

सिडकुल थानाध्यक्ष प्रशांत बहुगुणा ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। इस मामले में बैंक जाकर पड़ताल की जाएगी। जिन तारीखों में चेक लगाकर पैसे निकाले गए हैं, उस दौरान सीसीटीवी कैमरे की फुटेज चेक कर धोखाधड़ी करने वालों का पता लगाया जाएगा।

तीन नामों से निकाली गई रकम

बैंक खाते से 30 सितंबर को शहजाद मलिक के नाम से चेक लगाकर 58 हजार रुपये, एक अक्टूबर को मोनू सोनी के नाम से 11.58 लाख रुपये, चार अक्टूबर को मोनू सोनी के नाम से फिर 48.29 लाख रुपये और शहजाद मलिक के नाम से 85 हजार रुपये, पांच अक्टूबर को मोनू के नाम से 43.10 लाख रुपये, 15 अक्टूबर को ज्योति प्रसाद शर्मा के नाम से 33 लाख रुपये की रकम निकाली गई है।

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फोरम या बैंक कर्मचारी की मिलीभगत!

बैंक खाते में अलग-अलग तारीखों में जिस सीरीज के फर्जी चेक लगाए गए हैं, उसी सीरीज के असली चेक फोरम कार्यालय में मौजूद हैं। फोरम को किस सीरीज की चेक बुक आवंटित है, इसकी जानकारी या तो बैंक के कर्मचारी हो सकती है या फिर फोरम के कर्मचारी को पता हो सकता है। इसलिए पुलिस को यह भी शक है कि इस पूरे मामले में फोरम या बैंक का कोई कर्मचारी शामिल हो सकता है। फोरम या बैंक से लिंक न रखने वाले किसी तीसरे व्यक्ति को ब्लैंक चेक की सीरीज की जानकारी होना मुश्किल है।

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चूक, गलती या लापरवाही

फोरम के बैंक खाते से लेनदेन फोरम अध्यक्ष के हस्ताक्षर से होता है, लेकिन लिपिकीय कार्य के लिए स्टाफ मौजूद है। बैंक खाते से 15 दिन के भीतर छह किश्तों में मोटी रकम निकाल ली गई, लेकिन फोरम कार्यालय के किसी लिपिक को भी भनक नहीं लगी। पुलिस यह मान रही है कि फोरम कार्यालय स्तर से भी कोई चूक, गलती या लापरवाही जरूर हुई है।

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