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नौ साल की रिद्धिमा की समझ का फ्रांस ने माना लोहा, दिया न्योता

ग्लोबल वार्मिंग जैसे वैश्विक सवाल को लेकर एनजीटी में याचिका दाखिल कर सुर्खियों में आई नौ साल की इस बालिका की पर्यावरण के प्रति गहरी समझ का लोहा फ्रांस ने भी माना है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 11 Jul 2017 10:56 AM (IST)Updated: Tue, 11 Jul 2017 08:51 PM (IST)
नौ साल की रिद्धिमा की समझ का फ्रांस ने माना लोहा, दिया न्योता
नौ साल की रिद्धिमा की समझ का फ्रांस ने माना लोहा, दिया न्योता

हरिद्वार, [जेएनएन]: पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। इस कहावत को चरितार्थ किया है हरिद्वार की नन्हीं पर्यावरणविद् रिद्धिमा पांडेय ने। ग्लोबल वार्मिंग जैसे वैश्विक सवाल को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में याचिका दाखिल कर सुर्खियों में आई नौ साल की इस बालिका की पर्यावरण के प्रति गहरी समझ का लोहा फ्रांस ने भी माना है।

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ग्लोबल वार्मिंग को लेकर वह क्या महसूस करती है। इससे निबटने के लिए बालमन में क्या चल रहा है। इस पर वह तीन नवंबर को पेरिस में होने वाली कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रखेगी। इसका आयोजन फ्रांस लिबर्टीज समेत अन्य संस्थाओं की ओर से किया जा रहा है, जिसमें भारत से रिद्धिमा को भी आमंत्रित किया गया है। इसे लेकर वह बेहद उत्साहित है।

विरासत में मिली समझ

रिद्धिमा को पर्यावरण और जंगल की समझ विरासत में मिली है। हरिपुर कलां (रायवाला) की रहने वाली रिद्धिमा के पिता दिनेश चंद्र पांडेय वन्यजीव संरक्षण के लिए कार्य करने वाली संस्था वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया में फील्ड आफीसर और मां विनीता पांडेय वन विभाग के हरिद्वार डिवीजन में कार्यरत हैं। 

जाहिर है कि घर में जंगल, पर्यावरण और वन्यजीवों के संरक्षण को लेकर अक्सर चर्चा होती रहती है। बालमन पर इसका भी असर पड़ा। वर्तमान में भूपतवाला स्थित बीएमडीएवी पब्लिक स्कूल में कक्षा छह की यह छात्रा आज पर्यावरण और वन्यजीवों को लेकर अपने सवालों से विशेषज्ञों को भी अचरज में डाल देती है।

ऐसे तो सांस लेना होगा दूभर

रिद्धिमा जब पिछले साल जब कक्षा पांच में थी तो उसने अपने पाठयक्रम में ग्लोबल वार्मिंग का पाठ पढ़ा। पिता दिनेश चंद्र पांडेय बताते हैं, 'रिद्धिमा ने सबसे पहले यही सवाल किया कि ग्लोबल वार्मिंग तो हम सबकी वजह से विकराल रूप धर रहा है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो सांस लेना मुश्किल हो जाएगा। 

दिनेश पांडे के अनुसार इसके बाद 29 मार्च 2017 को रिद्धिमा की ओर से एनजीटी में 54 पृष्ठों की याचिका दाखिल की गई, जिस पर सुनवाई चल रही है। इसमें पर्यावरण पर पड़ रहे असर, भविष्य में जीवन पर संकट, बीमारियां समेत अन्य बिंदुओं का जिक्र किया गया है। बता दें कि रिद्धिमा सबसे कम उम्र में एनजीटी में याचिका दाखिल करने वाली बालिका है।

पिता के साथ फ्रांस जाएगी रिद्धिमा

ग्लोबल वार्मिंग को लेकर रिद्धिमा की चिंता ने उसे न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशों में भी ख्याति दिलाई। फ्रांस में होने वाली कॉन्फ्रेंस में रिद्धिमा पिता दिनेश पांडेय के साथ जाएगी। उन्हें भी कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया गया है। रिद्धिमा को वहां न सिर्फ सम्मानित किया जाएगा, बल्कि वह अपनी बात भी दुनिया के पर्यावरणविदें के सामने रखेगी। 

उसे दो सत्रों में अपनी बात रखने का अवसर मिलेगा। इससे रिद्धिमा बेहद उत्साहित है। कहती है वह फ्रंास में पर्यावरणविदें को भारत आने का न्योता भी देगी। बेटी की इस उपलब्धि से पांडेय दंपती भी बेहद खुश हैं। दिनेश चंद्र कहते हैं कि यह सपने के सच होने जैसा है। मां विनीता कहती हैं कि यह देश और हरिद्वार के लिए बड़ी उपलब्धि है।

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