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Muslim Fund: फर्श से अर्श पर पहुंचा था रज्जाक, करोड़ों कमाने पर भी नहीं खत्म हुआ लालच, मिला सबक

Muslim Fund चर्चित मुस्लिम फंड में खाताधारकों के करोड़ों रुपये ठिकाने लगाकर फरार हुए अब्दुल रज्जाक को पुलिस व एसओजी की टीम ने धर दबोचा। अब्दुल रज्जाक के फर्श से अर्श पर पहुंचने और लालच में अंधा होकर फर्श पर गिरने की कहानी सबक भी है।

By Mehtab alamEdited By: Nirmala BohraPublished: Sat, 28 Jan 2023 02:29 PM (IST)Updated: Sat, 28 Jan 2023 02:29 PM (IST)
Muslim Fund: फर्श से अर्श पर पहुंचा था रज्जाक, करोड़ों कमाने पर भी नहीं खत्म हुआ लालच, मिला सबक
Muslim Fund: फरार हुए अब्दुल रज्जाक को पुलिस व एसओजी की टीम ने धर दबोचा।

मेहताब आलम, हरिद्वार: Muslim Fund: पच्चीस वर्षों में मुस्लिम फंड के रास्ते अब्दुल रज्जाक के फर्श से अर्श पर पहुंचने और लालच में अंधा होकर फर्श पर औंधे मुंह गिरने की कहानी फिल्मी होने के साथ ही दूसरों के लिए सबक भी है।

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1990 में महज 350 रुपये प्रति माह मेहनताने पर इमामत यानी मस्जिद में नमाज पढ़ाने वाला रज्जाक कुछ सालों में ही करोड़ों का मालिक बन बैठा। दूसरों की रकम पर बैंक से हर महीने लाखों रुपये का ब्याज मिलने के बावजूद उसका लालच खत्म नहीं हुआ। लालच में न सिर्फ उसने खातेदारों की अमानत में खयानत की, बल्कि धंधे से जुटाई संपत्ति भी गंवा दी।

मुस्लिम फंड के गोलमाल में रज्जाक सहित तीन गिरफ्तार

ज्वालापुर के चर्चित मुस्लिम फंड में खाताधारकों के करोड़ों रुपये ठिकाने लगाकर फरार हुए अब्दुल रज्जाक को पुलिस व एसओजी की टीम ने धर दबोचा। उसके दो साथियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।

पूछताछ में सामने आया है कि रज्जाक व उसके साथियों ने पहले विदेश से आने वाले कालेधन के लालच में और फिर चलन से बाहर हो चुकी करेंसी बदलने के झांसे में आकर खातेधारकों के करोड़ों रुपये डुबो दिए। एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने जिला पुलिस मुख्यालय पर प्रेस कांफ्रेंस कर इस मामले का पर्दाफाश किया।

मुस्लिम धर्म में ब्याज लेना और देना हराम है। इसलिए हजारों मुस्लिम लोग अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई मुस्लिम फंड में जमा करते हैं। घर बैठे पैसे जमा कराने की सहूलियत ने 20 फीसद गैर मुस्लिमों को भी मुस्लिम फंड से जुड़ने को मजबूर किया।

मुस्लिम फंड की थीम कुछ यूं थी कि रोजाना एकत्र होने वाली रकम बैंक में जमा की जाए और उससे हासिल होने वाली ब्याज की रकम से स्टाफ व अन्य खर्च निकाली जाए। बाकी रकम गरीब, यतीम, बेसहारों व जरूरतमंदों पर खर्च की जाए।

पुलिस को पता चला है कि अब्दुल रज्जाक को बैंकों से महीने में 50 लाख रुपये तक की रकम ब्याज के रूप में मिलती रही। लेकिन इस रकम का पांच प्रतिशत हिस्सा भी उसने जरूरतमंदों पर खर्च नहीं किया, बल्कि इससे संपत्तियां खरीदकर साम्राज्य बढ़ाता रहा।

इतना होने के बावजूद उसका लोभ खत्म नहीं हुआ। उसके जानकार भी मानते हैं कि लालच रज्जाक के अंदर भरा था। इसी लालच ने उसे जेल में डाल दिया। उसने किसी की बेटी की शादी तो किसी की पक्की छत का सपना तोड़ डाला। उसके साथ जेल गए दोनों साथियों ने भी अमीर बनने के लालच में अपनी जमा पूंजी गंवा दी।

दूसरों के लिए हराम, तो खुद के लिए हलाल कैसे

एक आम मुसलमान को हराम-हलाल की पहचान होती है, फिर रज्जाक तो हाफिज था। लोगों की जुबान पर आम चर्चा यह है कि जब ब्याज दूसरों के लिए हराम है तो रज्जाक के लिए हलाल कैसे हो गया। यह मजहबी बहस का विषय है कि आलिम होने के बावजूद रज्जाक ब्याज के दलदल में गोते लगा रहा था। जबकि उसके आस-पास मौलानाओं और उलेमाओं का घेरा था।

क्या पीड़ितों को मिल सकेगी गाढ़ी कमाई

रज्जाक के गिरफ्तार होने के बाद सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पीड़ितों को उनकी मेहनत की कमाई वापस मिल पाएगी। हालांकि, इसका जवाब शहर में पिछले दिनों सामने आ चुके किट्टी व कमेटी के दर्जनों घोटालों के पीड़ित ज्यादा बेहतर बता सकते हैं।

अलबत्ता, फिलहाल पुलिस यह दावा कर रही है कि इसकी भरपाई कोर्ट के माध्यम से की जाएगी। हालांकि, अभी तक रज्जाक की सभी संपत्तियां बिकने की बात सामने आ रही है, फिर भी पुलिस उसके स्वजनों व रिश्तेदारों की कुंडली खंगाल रही है। संपत्तियां अगर रिश्तेदारों व स्वजनों की आमदनी से ज्यादा निकली तो इसे रज्जाक की संपत्ति माना जाएगा और बेनामी संपत्ति के तौर पर जब्त करते हुए पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाया जा सकता है।

20 करोड़ के लालच में डोला हाफिज का ईमान

सीओ ज्वालापुर निहारिका सेमवाल ने बताया कि मुन्ना व मसरूर ने संभल निवासी अंसार और मुंबई निवासी साजिद से अब्दुल रज्जाक की मुलाकात कराई।

उसे झांसा दिया गया कि साजिद का कोई जानने वाला लंदन में रहता है, उसे 100 करोड के कालेधन को किसी पंजीकृत संस्था को दान देकर सफेद कराना है। 80 करोड़ रुपये वापस कर उन्हें 20 करोड़ रुपये मिल जाएंगे। लगभग 8 से 10 करोड़ रुपये में स्कूल खोलकर सामाजिक कार्य कर लेंगे, बाकि 8 से 10 करोड़ रुपये आपस में बांट लेंगे।

झांसे में आने के बाद मुंबई व चेन्नई में मुलाकात के बाद अब्दुल रज्जाक से अलग-अलग किस्तों में 3.5 करोड़ रुपये साजिद के खातों व नगद दिए गए। इस रकम के लिए अब्दुल रज्जाक ने मुस्लिम फंड के रुपये से चार करोड़ में खरीदे गए प्लाट भी दो करोड़ रुपये में बेच दिए।

बाकी 1.5 करोड़ रुपये भी मुस्लिम फंड के खाते से ली। कुछ दिन बाद साजिद का नंबर बंद हो गया। मसरूर, नसीम उर्फ मुन्ना और अंसार ने लोनी गाजियाबाद में 25 बीघा भूमि का एग्रीमेंट उसके नाम करने का भरोसा दिलाते रहे, लेकिन न साजिद का पता चला और न रकम वापस मिली।


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