अगर एलपीजी गैस सिलेंडर की बढ़ती कीमत से हैं परेशान, तो पढ़ें खबर...
अगर आप एलपीजी गैस सिलेंडर की कालाबाजारी और बढ़ती कीमत से परेशान हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने गोबर से एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) बनाने में सफलता हासिल कर ली है। कृत्रिम रूप से तैयार की गई यह गैस रसोई गैस से
रुड़की(रीना डंडरियाल)। अगर आप एलपीजी गैस सिलेंडर की कालाबाजारी और बढ़ती कीमत से परेशान हैं, तो आपके लिए अच्छी खबर है। रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) ने गोबर से एलपीजी (लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस) बनाने में सफलता हासिल कर ली है। कृत्रिम रूप से तैयार की गई यह गैस रसोई गैस से किसी मायने में कम नहीं। इतना ही नहीं कृत्रिम एलपीजी वर्तमान एलपीजी से सस्ती भी पड़ेगी।
जल्द ही आइआइटी अपने फार्मेूले को पेटेंट कराने जा रहा है। आइआइटी के रासायनिक अभियांत्रिकी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ. सीबी मजूमदार और उनकी टीम ने यह सफलता हासिल की है। डॉ. मजूमदार ने बताया कि एक कुंतल गोबर से सौ क्यूबिक मीटर एलपीजी तैयार की जा सकती है।
इससे मिलने वाली गैस की कीमत वर्तमान गैस सिलेंडर से दो सौ रुपये कम होगी। उन्होंने बताया कि अपने प्रोजेक्ट को पेटेंट कराने के लिए आवेदन कर दिया है और एक माह में पेटेंट मिल जाएगा।
ऐसे तैयार होगी कृत्रिम एलपीजी
एक ड्रम में गोबर और पानी को समान मात्रा में मिलाया जाता है। इस मिश्रण को 15 दिन तक 37 डिग्री तापमान पर रखा जाता है। इस दौरान मिश्रण में उत्पन्न बैक्टिरिया मीथेन और कार्बन-डाई आक्साइड गैस बनाते है। पाइप के जरिये दोनों गैसों को दूसरे ड्रम में डाला जाता है।
इसमें पोटेशियम हाइड्रोक्साइड मिलाया जाता है, जो कार्बन-डाई-आक्साइड को सोखने का काम करता है। इसके बाद ड्रम में सिर्फ मीथेन गैस ही रह जाती है। तीसरे ड्रम में मीथेन को ऐसिटिलीन गैस के साथ मिलाने पर एक और रसायन की मदद से एलपीजी गैस प्राप्त की जाती है।
प्रोफेसर मजूमदार ने बताया कि शुरुआत में उन्हें मीथेन गैस बनाने में 90 दिन लगे, लेकिन इस अवधि को कम करते-करते वह 15 दिन पर ले आए हैं।
गोबर गैस से ज्यादा उपयोगी है एलपीजी
प्रोफेसर मजूमदार ने बताया कि बायो गैस भी गोबर और पानी के मिश्रण से तैयार होती है, लेकिन इसमें कार्बन डाई आक्साइड की मात्रा 35 फीसद तक रहती है, जबकि मीथेन महज 65 फीसद। वहीं गोबर से एलपीजी बनाने की प्रक्रिया के दौरान कार्बन-डाइ-आक्साइड को अलग कर दिया जाता है। बायो गैस में कार्बन-डाइ-ऑक्साइड की मात्रा होने के कारण इसकी ताप क्षमता एलपीजी के मुकाबले चार से पांच फीसद कम रहती है।
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