ट्रेन हादसा: ग्वालियर के कबीर को सता रही थी अपनों की चिंता
ट्रेन हादसे के बाद ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के कबीर राठौर के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थी। फोन पर माता-पिता से बात होने और उनके सुरक्षित होने से सुकून का भी भाव था।
हरिद्वार, [जेएनएन]: ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के कबीर राठौर के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ झलक रही थी। फोन पर माता-पिता से बात होने और उनके सुरक्षित होने से सुकून का भी भाव था। परिजनों के साथ सोमवती अमावस्या स्नान को आ रहे 50 लोगों के जत्थे के बारे में स्थानीय स्तर से सही जानकारी न मिलने पर कबीर सिस्टम से आहत भी दिखा।
ग्वालियर निवासी कबीर राठौर कृष्णा नगर दिल्ली स्थित गोयल हॉस्पिटल में हॉस्पिटल मैनेजर पद पर तैनात हैं। सोमवती अमावस्या स्नान को उनके पिता महेश राठौर और रामकली देवी के साथ 50 लोगों का जत्था ग्वालियर से उत्कल एक्सप्रेस में सवार हुआ था। इन्हें हरिद्वार में रिसीव करने के लिए वह शाम साढ़े पांच बजे उत्तरांचल एक्सप्रेस से दिल्ली से हरिद्वार पहुंच चुके थे।
इस बीच उत्कल एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने की जानकारी से उनके पांवों तले जमीन खिसक गई। बकौल कबीर, 'जैसे ही हादसे की जानकारी हुई पिता महेश राठौर से संपर्क साधा। उनके सुरक्षित होने की जानकारी तो मिली लेकिन साथ आ रहे जत्थे के बारे में जानकारी नहीं मिल पाई। जिस पर वह स्टेशन मास्टर कक्ष में पहुंचे और हादसे के बारे में जानकारी चाही, लेकिन उन्होंने कोई सूचना न होने की बात कहकर चलता कर दिया।' सिस्टम से आहत कबीर बदहवास स्टेशन पर इधर-उधर भटकते रहे। रिजर्वेशन चार्ट निकलने की जानकारी मिलते ही वह यात्री सहायता बूथ पहुंच चार्ट में अपनों के नाम ढूंढने लगे।
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