सब्सिडी के लिए रसूखदार भी बन गए बेरोजगार, पढ़िए पूरी खबर
वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना की सब्सिडी का लाभ लेने के लिए हरिद्वार में कई रसूखदार भी बेरोजगार बन गए।
हरिद्वार, जेएनएन। बेरोजगारों के लिए शुरू की गई वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना की सब्सिडी का लाभ लेने के लिए हरिद्वार में कई रसूखदार भी बेरोजगार बन गए। इनमें कुछ की पत्नियां, बेटे न सिर्फ अचानक से बेरोजगार हो गए, बल्कि जीवन यापन करने को फास्ट फूड सेंटर खोलने व टैक्सी खरीद कर उसे किराये पर चलाने को मजबूर हो गए। बता दें कि इस योजना के तहत 40 लाख रुपये तक का लोन दिया जाता है और इसमें 25 फीसद तक अनुदान का प्रावधान है।
याचिकाकर्ता अरुण भदौरिया के अनुसार योजना के संबंध में उन्होंने सूचना के अधिकार में जो जानकारी मांगी, उससे तो यही तथ्य सामने आए हैं। योजना का लाभ लेने वालों में सफेदपोशों के परिजन भी शामिल हैं। सत्तारुढ़ दल के एक विधायक की पत्नी ने फास्ट फूड सेंटर खोलने के लिए 10 लाख का ऋण इस योजना के तहत लिया। हालांकि, विधायक का कहना है कि उनकी पत्नी ऋण लेकर कुछ गलत नहीं किया, इसे उन्होंने चुकता भी कर दिया। इसी तरह भाजपा की एक नेत्री के पति ने साढ़े 22 लाख रुपये और उनके एक अन्य परिजन ने 20 लाख का ऋण लिया। एक पूर्व विधायक के बेटे को रेस्टोरेंट के लिए 15 लाख रुपये का ऋण मंजूर किया गया।
2002 में शुरू हुई योजना
राज्य के गठन के बाद पर्यटन को बढ़ावा देने और बेरोजगारों को स्वरोजगार के संसाधन मुहैया कराने के लिए जून 2002 में वीर चंद्र ङ्क्षसह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना शुरू की थी। इसके तहत पात्र व्यक्तियों को 40 लाख तक ऋण देने का प्रावधान है। योजना के तहत लाभार्थियों को 25 फीसद तक अनुदान भी दिया जाता है।
इनके लिए मिलता है ऋण
- परिवहन सुविधाओं के विकास को बस/टैक्सी आदि खरीद
- मोटर गैराज/ वर्कशाप निर्माण
- फास्टफूड सेंटर की स्थापना
- साधना कुटीर/ योग ध्यान केन्द्रों की स्थापना
- 8-10 कमरों के मोटेलनुमा आवासीय सुविधा वाले रेस्टोरेंट
- साहसिक खेलों के विकास, उपकरण खरीदने, पीसीओ बूथ
- सुविधायुक्त पर्यटन सूचना केंद्रों की स्थापना
- पर्यटन से संबंधित अन्य योजनाओं के लिए
पात्रता
- उत्तराखंड राज्य का स्थायी निवासी
- आवेदक या उसके संबंधी के अपेक्षित भूमि होना जरूरी
- पट्टे की भूमि पर भी आवेदक को योजना का लाभ
- बैंक अथवा किसी अन्य संस्था का डिफाल्टर न होना
- आवेदक आयकर दाता नहीं होना चाहिए
- रोजगार या आय का कोई साधन नहीं होना चाहिए
- नियमानुसार आरक्षित वर्ग को लाभ
- बेरोजगारी और आयकरदाता न होने संबंधी शपथ पत्र देना जरूरी
चयन समिति
जिलाधिकारी अध्यक्ष, मुख्य विकास अधिकारी, जिला पर्यटन अधिकारी, अग्रणी बैंक प्रबंधक, महाप्रबंधक जिला उद्योग केन्द्र, परिवहन विभाग के प्रतिनिधि, जिला समाज कल्याण अधिकारी सदस्य।
यह भी पढ़ें: 2013 के बाद आपदा पुनर्निर्माण कार्यों की खुली पोल, जानिए
यह भी पढ़ें: पर्यटन स्वरोजगार ऋण घपले में अफसरों पर आंच, पढ़िए पूरी खबर