कोरोना के खतरे के कारण आइआइटीयंस ने टाली विदेश यात्राएं
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के कई प्रोफेसरों से लेकर छात्रों ने लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस साल के अंत तक विदेश यात्रा पर नहीं जाने का मन बनाया है।
रुड़की, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोविड-19 ने कहर बरपाया हुआ है। दुनियाभर में अब तक दो लाख से अधिक लोगों की कोरोना वायरस के कारण जान जा चुकी है, जबकि इससे संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 30 लाख के पार पहुंच गया है। वहीं कई विशेषज्ञ लंबे समय तक कोरोना वायरस का खतरा बने रहने की संभावना जता रहे हैं। ऐसे में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की के कई प्रोफेसरों से लेकर छात्रों ने लॉकडाउन खुलने के बाद भी इस साल के अंत तक विदेश यात्रा पर नहीं जाने का मन बनाया है।
आइआइटी रुड़की के प्रोफेसर अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस, व्याख्यान तो वहीं छात्र भी शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल होने के लिए समय-समय पर विदेश यात्रा पर जाते रहते हैं। वर्ष 2020 में भी संस्थान के कई प्रोफेसरों और छात्रों को विभिन्न शैक्षणिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए चाइना, अमेरिका, साउथ कोरिया, यूरोप आदि देशों की यात्र पर जाना था, लेकिन वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण देश-विदेश में आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रम पहले ही स्थगित हो गए हैं।
उधर, कोरोना वायरस को लेकर देश-दुनिया के तमाम वैज्ञानिक अनुसंधान कर रहे हैं, लेकिन कोरोना वायरस के हमले से विश्व के लोगों को कब छुटकारा मिल पाएगा इसको लेकर दुविधा बरकरार है। कई विशेषज्ञों की ओर से तो कोरोना वायरस के लंबे समय तक सक्रिय रहने की बात कही जा रही है। जिससे विश्वभर के लोगों में कोरोना वायरस को लेकर काफी भय बना हुआ है। ऐसे में कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए ही आइआइटी रुड़की के कई प्रोफेसरों और छात्रों ने लॉकडाउन खुलने के बाद भी तब तक अपनी विदेश यात्रा को टाल दिया है, जब तक कि स्थिति सामान्य नहीं हो जाती है। आइआइटी रुड़की के प्रबंधन अध्ययन विभाग के प्रो. रजत अग्रवाल बताते हैं कि शैक्षणिक कार्य से उन्हें मई में अमेरिका और जुलाई में चीन की यात्रा पर जाना था। कोरोना वायरस के कारण मई वाला कार्यक्रम पहले ही स्थगित हो गया है। वहीं, लॉकडाउन खुलने के बाद भी चीन वाले कार्यक्रम में वे नहीं जाएंगे, बल्कि इस साल उन्होंने अपनी सभी विदेश यात्रा को टाल दिया है।
संस्थान के जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग के प्रो. आशीष पाण्डेय बताते हैं कि मई के प्रथम सप्ताह में उन्हें आस्टिया जाना था, लेकिन अब यह कार्यक्रम रद हो गया है। उनके अनुसार जब तक कोरोना वायरस का खतरा कम नहीं हो जाता है तब तक वे विदेश यात्रा पर जाने से खुद ही परहेज करेंगे। आइआइटी रुड़की के भू-विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. सुनील बाजपेई को व्याख्यान के लिए चीन जाना था, लेकिन उन्होंने भी अपनी यात्र को स्थिति सामान्य होने तक स्थगित कर दिया है। भू-विज्ञान विभाग के ही प्रोफेसर अरुण कुमार सराफ भी कोरोना वायरस के कारण अगले कई महीनों तक विदेश यात्रा पर जाने से परहेज करने वाले हैं।
इसी प्रकार से संस्थान के मैकेनिकल एंड इंडस्टियल इंजीनियरिंग विभाग से पीएचडी करने वाले छात्र उजेंद्र कुमार कोमल ने बताया कि जुलाई में उन्हें शैक्षणिक कार्य के लिए साउथ कोरिया जाना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण अब परिवार वाले नहीं चाहते कि लॉकडाउन खुलने के बाद भी वह विदेश यात्रा पर जाएं। वहीं उन्होंने खुद भी इस साल तक विदेश नहीं जाने का फैसला लिया है। वहीं जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन विभाग से पीएचडी करने वाले लखविंदर सिंह को भी शैक्षणिक कार्य के लिए कनाडा जाना था, लेकिन लखविंदर ने भी स्थिति सामान्य होने तक अपनी विदेश यात्रा टाल दी है।
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