मंडी में स्थानीय सब्जियों की आवक हुई कम
जागरण संवाददाता, रुड़की : टमाटर नासिक से तो आलू पंजाब से। लौकी हापुड से तो खीरा बिजनौर
जागरण संवाददाता, रुड़की : टमाटर नासिक से तो आलू पंजाब से। लौकी हापुड से तो खीरा बिजनौर से, जी हां इन दिनों रुड़की शहर में अधिकांश सब्जियां बाहर के प्रदेशों से ही आ रही है। स्थानीय स्तर पर केवल बैंगन की फसल ही पर्याप्त मात्रा में पहुंच रही है। यदि मौसम में बड़ा उतार-चढ़ाव न हुआ तो अक्टूबर तक सब्जियों के लिये अन्य प्रदेशों पर ही निर्भर रहना पड़ेगा।
पिछले एक माह से रुड़की और आसपास के क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है। बारिश से सबसे अधिक नुकसान सब्जियों की खेती को पहुंचा है। टमाटर, लौकी, कद्दू, खीरा, शिमला मिर्च, मिर्च आदि की फसल सबसे अधिक प्रभावित हुई है, जिसके चलते स्थानीय खेतों से मंडी में इन सब्जियों की आवक न के बराबर है। अब रुड़की मंडी में टमाटर नासिक से पहुंचना शुरु हो गया है। मंडी निरीक्षक सुबोध कुमार ने बताया कि नासिक से प्रतिदिन 60 से 70 कुंतल टमाटर आ रहा है, जिसके चलते इसके दाम में भी अब कमी आई है। टमाटर की स्थानीय फसल अब नहीं के बराबर है। लौकी और तुरई की फसल भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से आ रही है। लौकी तो हापुड और मुजफ्फरनगर जिले से ही ज्यादा आ रही है। इसी तरह से आलू की फसल भी पंजाब और हरियाणा के विभिन्न जिलों से मंडी में पहुंच रही है। हालांकि, पिछले तीन चार दिन से आलू की आवक घटी है, जिसकी वजह से आलू के दामों में तेजी आने की आशंका है। शिमला मिर्च, खीरा आदि भी अब दूसरे प्रदेशों से ही आ रहा है। बताया कि अब मौसमी सब्जियों की किल्लत बनी रहेगी। मौसम अनुकूल रहा तो अक्टूबर से ही स्थानीय सब्जियां मंडी में पहुंचना शुरु हो जाएगी।