हाईकोर्ट ने पूछा - केन्द्र और राज्य सरकार बताए बताए प्रवासियों को लाने में देरी क्यों
हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न शहरों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों को वापस लाने संबंधी दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की।
नैनीताल, जेएनएन : हाईकोर्ट ने लॉकडाउन के दौरान देश के विभिन्न शहरों में फंसे उत्तराखंड के प्रवासियों को वापस लाने संबंधी दायर जनहित याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। काेर्ट ने केंद्र व राज्य सरकार से पूछा है कि प्रवासियों को लाने के लिए कितनी ट्रेन और बसें चलाई जा रही हैं? अब तक कितने लोग राज्य में वापस लाया गया है? कोर्ट ने यह भी पूछा है कि दोनों सरकारें बताएं कि प्रवासियों को लाने में क्यों देरी हो रही । कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 21 मई की तिथि नियत की है।
मुख्य न्यायधीश रमेश रंगनाथन व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि अभी तक करीब 61 हजार लोगों को वापस लाया गया है। जिस पर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा जल्द से जल्द लाने की व्यवस्था की जाए। जबकि करीब दो लाख 20 हजार ने वापसी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया हुआ है। लिहाजा इनको लाने में सरकार तेजी लाएं ताकि कोरोना के संकट से लोगों को बचाया जा सके।
धनोल्टी से विधायक व पूर्व मंत्री प्रीतम सिंह पंवार ने याचिका दायर कर कहा गया था कि राज्य सरकार केवल प्रवासी मजदूरों को ही वापस ला रही है जबकि लॉकडाउन के दौरान कई वर्ग के लोग फंसे है जिसमें बड़ी संख्या में छात्र भी शामिल हैं। लिहाजा सभी को वापस लाया जाए और किसी के साथ भेदभाव ना किया जाए।
बता दें कि बाहरी राज्यों से बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौट रहे हैं। त्रिवेंद्र सरकार के प्रयासों से अब तक करीब 60 हजार प्रवासी उत्तराखंड लाए गए हैं। प्रवासियों को लाने के लिए बस और ट्रेनों का सहारा लिया जा रहा है। पिछले दिनों सरकार की ओर से बताया गया कि ढाई लाख लोगों ने आने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। माना जा रहा है कि तीन के करीब लोग वापसी कर सकते हैं।
कोरोना पॉजिटिव को लाने वाली कार फिर पहाड़ चढ़ रही थी, छह लोग किए गए क्वारंटाइन
अंडरग्राउंड नहर में गिरा नगर निगम का सुपरवाइजर, पुलिसकर्मियों ने डेढ घंटे रेस्क्यू कर बचाई जान