आखिर कौन बन गया लाल्ली के परिवार का दुश्मन
मंगलौर: पांच माह में दो हत्या और हत्याओं का तरीका भी एक जैसा है। जिससे पुलिस भी आशंका ज
मंगलौर: पांच माह में दो हत्या और हत्याओं का तरीका भी एक जैसा है। जिससे पुलिस भी आशंका जता रही है कि हो न हो इन दोनों कत्ल के पीछे किसी एक ही शख्स का हाथ हो सकता है। लाल्ली के हत्यारे पकड़े जाने से सुबोध की हत्या से पर्दा उठने की संभावना को तलाशते हुए पुलिस इसी ¨बदु पर जांच कर रही है। इस परिवार से किसकी दुश्मनी है। डॉग स्कॉयड भी हत्या के तार गांव से जुड़े होने की तरफ इशारा कर रहे है। पुलिस अब इन्हीं सवालों के जवाब तलाश रही है।
गदरजुड्डा निवासी सुबोध की गांव में दर्जी की दुकान थी। 10 मई को वह घर से मंगलौर जाने की बात कहकर निकला था लेकिन इसके बाद लापता हो गया था। परिजन उसकी तलाश करते रहे थे। 12 मई को उसका शव झबीरन के पास रजवाहे से बरामद हुआ था। उसकी गला दबाकर हत्या की गई थी। उस समय मंगलौर के एक युवक पर शक जताया गया था। पुलिस ने युवक से पूछताछ की थी लेकिन हत्या की वजह सामने नहीं आई थी। पुलिस इस मामले को लेकर कई ¨बदुओं पर जांच कर रही थी लेकिन लाल्ली की हत्या के बाद दोनों मामले पूरी तरह से उलझ गए हैं। पुलिस के साथ साथ ग्रामीणों की समझ में भी नहीं आ रहा है कि आखिर इस परिवार का दुश्मन कौन बन गया है। हत्या की वजह क्या है। यह सभी सवालों में पुलिस फिलहाल उलझी है। हालांकि पुलिस यह बात मानकर चल रही है कि कत्ल के राज गांव में ही छिपे हैं। मौके पर पहुंचे डॉग स्कॉयड ने जब घटनास्थल की गंध ली तो किसी ने यह नहीं सोचा था कि डॉग घटनास्थल की गंध के आधार पर गांव तक जाएगा। डॉग स्कॉयड गांव में शिव चौक तक गया और ठहर गया। पुलिस की जांच अब इसके पास ही चल रही है।
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घटनास्थल और शिव चौक का डंप डाटा उठाया
मंगलौर: जिस जगह लाल्ली का शव मिला है। पुलिस ने उस जगह संचालित मोबाइल टॉवर का डंप डाटा उठाया है। इसके अलावा डॉग स्कॉयड ने शिव चौक पर रुक कर पुलिस को जो संकेत दिए है। पुलिस वहां से भी रात और सुबह तक संचालित मोबाइल नंबरों का डाटा जुटा रही है। इन दोनों घटनास्थल पर मिले मोबाइल नंबरों का मिलान कर पुलिस संदिग्ध नंबरों को खंगालेगी। इसकी मदद से पुलिस हत्यारोपित तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
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पुलिस दिखाती सक्रियता न होती दूसरी हत्या
मंगलौर: हत्या की घटनाओं में पुलिस की लारवाही भी कम नहीं है। सुबोध की जिस तरह से पांच माह पहले हत्या की गई थी। पुलिस ने उस समय आश्वासन दिया था लेकिन इसके बाद पुलिस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यदि दोनों हत्याओं में एक ही व्यक्ति का हाथ है तो पुलिस की लापरवाही भी इसके लिए जिम्मेदार है। यदि पुलिस सुबोध के हत्यारोपित को पहले ही गिरफ्तार कर लेती तो शायद लाल्ली की हत्या न होती।