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निजी अस्पताल बंद, भटक रहे मरीज, आइएमए गिना रहा मजबूरी

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों को मरीज विरोधी बताते ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 18 Feb 2019 08:19 PM (IST)Updated: Mon, 18 Feb 2019 08:19 PM (IST)
निजी अस्पताल बंद, भटक रहे मरीज, आइएमए गिना रहा मजबूरी
निजी अस्पताल बंद, भटक रहे मरीज, आइएमए गिना रहा मजबूरी

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रावधानों को मरीज विरोधी बताते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से जुड़े डॉक्टरों ने अपने अस्पताल सोमवार को भी बंद रखे। इससे मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा। वहीं, आइएमए के पदाधिकारियों ने कहा कि बंद अनिश्चितकाल के लिए है। उन्होंने कहा कि इससे इलाज महंगा हो जाएगा।

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क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट (सीई) एक्ट के विरोध में निजी क्लीनिक और नर्सिंग होम बंद होने से मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। सोमवार को भी शहर से लेकर देहात के निजी क्लिनिक और अस्पताल बंद रहे। इससे मरीजों को इलाज नहीं मिला। साथ ही डायग्नोस्टिक सेंटरों के बंद होने से अल्ट्रासाउंड, एक्सरे और पैथोलॉजी जांच के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ा। इससे मरीजों को हरमिलाप जिला अस्पताल समेत अन्य सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए जाना पड़ा। वहीं, आइएमए की जिला इकाई ने बयान जारी कर बताया कि सीई एक्ट के लागू होने से अस्पताल का संचालन और रखरखाव महंगा हो जाएगा। जिसका बोझ मरीजों पर पड़ेगा। अस्पताल में कार्यरत पुराने अनुभवी कर्मचारियों को कार्य से वंचित होना पड़ेगा। जिससे बेरोजगारी बढ़ेगी। आइएमए के अध्यक्ष डॉ. जसप्रीत ¨सह और सचिव डॉ. विकास दीक्षित ने कहा कि हरियाणा ने क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत 50 बेड से छोटे अस्पतालों को इस दायरे से बाहर रखा है। जिससे गरीब जनता को सस्ता इलाज मिल रहा है। उत्तराखंड सरकार को भी ऐसा ही कदम उठाना चाहिए। इस मामले में मातृछाया मेडिकल सेंटर के स्टाफ ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को संबोधित ज्ञापन उनके प्रतिनिधि भाजपा नेता नरेश शर्मा को दिया।

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शहर में सरकारी अस्पतालों के अलावा बड़े निजी अस्पतालों का भी संचालन सुचारु चल रहा है। सरकारी अस्पतालों में अतिरिक्त व्यवस्था कर मरीजों का इलाज कराया जा रहा है। यदि जल्द ही निजी चिकित्सकों ने विरोध बंद नहीं किया तो अधिनियम के तहत उन पर सख्ती की जाएगी।

-डॉ. प्रेमलाल, सीएमओ


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