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गजब: बरात बीच में रोककर परीक्षा देने कालेज पहुंचा दूल्हा, दुल्‍हन और घर वाले करते रहे वेट

Haridwar News एक छात्र अपनी बरात को बीच में ही रोककर नवविवाहिता पत्नी व अन्य स्वजन के साथ परीक्षा देने कालेज पहुंचा। परीक्षा देने के बाद बरात घर के लिए रवाना हुई। कालेज प्रबंधन ने छात्र को सुखद दांपत्य और उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद देकर विदा किया।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraPublished: Tue, 07 Feb 2023 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 07 Feb 2023 09:00 AM (IST)
गजब: बरात बीच में रोककर परीक्षा देने कालेज पहुंचा दूल्हा, दुल्‍हन और घर वाले करते रहे वेट
Haridwar News: कालेज प्रबंधन ने छात्र को सुखद दांपत्य और उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद देकर विदा किया।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : Haridwar News: ज्वालापुर स्थित पंडित पूर्णानंद तिवारी ला कालेज का एक छात्र अपनी बरात को बीच में ही रोककर नवविवाहिता पत्नी व अन्य स्वजन के साथ परीक्षा देने कालेज पहुंचा। उसके परीक्षा देने के बाद बरात घर के लिए रवाना हुई।

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पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा होनी थी

श्यामपुर गाजीवाली निवासी एलएलबी पंचम सेमेस्टर के छात्र तुलसी प्रसाद उर्फ तरूण जोशी की बरात पांच फरवरी को हरियाणा के हिसार में बरवाला गांव गई थी। छह फरवरी को तुलसी प्रसाद की पांचवें सेमेस्टर की परीक्षा होनी थी।

विवाह की रस्में पूरी करने के बाद दूल्हे के रूप में सजाधजा तुलसी प्रसाद नवविवाहिता पत्नी सिद्धि जोशी, अपनी बहन, बहनोई और सजी-धजी बरात के साथ हिसार से सीधे कालेज पहुंचा। कालेज में ड्रेस कोड लागू होने की वजह से उसने प्राचार्य अशोक कुमार तिवारी से वर के लिबास में ही परीक्षा देने की अनमुति मांगी।

छात्र को सुखद दांपत्य और उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद देकर विदा किया

छात्र की मजबूरी को देखते हुए प्राचार्य ने उसे परीक्षा देने की अनुमति दे दी। परीक्षा संपन्न होने के बाद कालेज प्रबंधन ने छात्र को सुखद दांपत्य और उज्ज्वल भविष्य का आशीर्वाद देकर विदा किया। अशोक कुमार तिवारी ने कहा कि करियर के प्रति छात्र तुलसी प्रसाद की गंभीरता सभी के लिए प्रेरणादायी है।

छात्र यदि निर्धारित तिथि पर परीक्षा नहीं दे पाता तो उसका एक वर्ष खराब हो जाता। इसलिए उन्होंने उसे वर के वस्त्रों में ही परीक्षा देने की अनुमति दी।

तुलसी प्रसाद ने बताया कि विवाह के बाद होने वाले धार्मिक रीति रिवाज संपन्न होने के बाद ही वे अपने वस्त्र उतार सकते थे। ऐसे में घर जाकर रीति रिवाज संपन्न करते तो विलंब के चलते परीक्षा में शामिल नहीं हो सकते थे। इसलिए उन्होंने घर जाने से पहले परीक्षा देने फैसला किया।


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