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Haridwar News: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने उठाए सवाल, कहा- शंकराचार्य की नियुक्ति गलत

Haridwar News शुक्रवार को एक बार फि‍र अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के अगले ही दिन ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की नियुक्ति को गलत ठहराया है।

By JagranEdited By: Sunil NegiPublished: Fri, 23 Sep 2022 10:45 PM (IST)Updated: Fri, 23 Sep 2022 10:45 PM (IST)
Haridwar News: अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने उठाए सवाल, कहा- शंकराचार्य की नियुक्ति गलत
हरिद्वार में निरंजनी अखाड़े में पत्रकार वार्ता करते श्रीमहंत रविंद्र पुरी। जागरण

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: Haridwar News: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के ब्रह्मलीन होने के अगले ही दिन ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य की नियुक्ति को गलत ठहराया है।

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संन्यासी अखाड़ों की परंपरा का दिया हवाला

निरंजनी अखाड़ा में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि शंकराचार्य की नियुक्ति जिसने भी की है, उनको नियुक्ति का कोई अधिकार नहीं है। संन्यासी अखाड़ों की परंपरा का हवाला देते हुए श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने इस पर विरोध जताया है।

  • उन्होंने अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के बजाय संन्यासी अखाड़ा यानी निरंजनी अखाड़े का सचिव होने के नाते यह बात कही है।

संन्यासी अखाड़ों की उपस्थिति में होती है शंकराचार्य की घोषणा

श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कहा कि संन्यासी अखाड़े आदिगुरु शंकराचार्य की सेना होते हैं। इसलिए संन्यासी अखाड़ों की उपस्थिति में शंकराचार्य की घोषणा होती है। जबकि अभी तक आदि गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की षोडशी भंडारा व अन्य सनातनी परंपराएं पूरी भी नहीं हुई हैं कि अगले शंकराचार्य की घोषणा कर दी जाती है।

जल्दबाजी में हुई शंकराचार्य की नियुक्ति

उन्होंने कहा कि इस तरह जल्दबाजी में शंकराचार्य की नियुक्ति हुई है, हम इसका विरोध करते हैं। उत्तराखंड में गिरि संन्यासियों की संख्या सबसे ज्यादा है। शंकराचार्य पद पर उसी व्यक्ति को बनाया जाएगा, जो भगवान शंकराचार्य के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने वाला हो। जिसके पास जनसमूह अर्थात श्रद्धालु-भक्त भी हो।

वसीयत के आधार पर नहीं होती शंकरचार्य की नियुक्ति

वसीयत के आधार पर शंकरचार्य की नियुक्ति नहीं होती है। यह स्वयं कैलाशवासी शंकराचार्य जगतगुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा था।

  • उन्होंने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने अपने जीते जी किसी को शंकराचार्य घोषित नहीं किया था।

भगवान आदि गुरु शंकराचार्य की उपाधि सनातन धर्म और परंपरा की सर्वोच्च उपाधि है। जिस पर संन्यासी अखाड़ों की उपस्थिति में विधि विधान के साथ शंकराचार्य की नियुक्ति होती हैं।

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