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Haridwar Kumbh 2021: तो अखाड़ा परिषद के स्वरूप में हो सकता है बदलाव, जानिए वजह

Haridwar Kumbh Mela 2021 तीनों बैरागी अणियों से जुड़े 18 अखाड़ों और साढ़े नौ सौ से अधिक खालसाओं की नाराजगी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के लिए मुसीबत बन सकती है। बैरागी अणियों ने परिषद से खुद को अलग करते हुए इसे भंग करने की घोषणा कर दी थी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 02:10 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 02:10 PM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: तो अखाड़ा परिषद के स्वरूप में हो सकता है बदलाव, जानिए वजह
तो अखाड़ा परिषद के स्वरूप में हो सकता है बदलाव, जानिए वजह।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 तीनों बैरागी अणियों से जुड़े 18 अखाड़ों और साढ़े नौ सौ से अधिक खालसाओं की नाराजगी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के लिए मुसीबत बन सकती है। बैरागी अणियों ने 12 फरवरी को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से खुद को अलग करते हुए इसे भंग करने की घोषणा कर दी थी और नए चुनाव कराने की मांग की थी। आरोप था कि अखाड़ा परिषद में उनका प्रतिनिधित्व न होने की वजह से उन्हें व उनसे संबंधित अखाड़ों और खालसाओं को तवज्जो नहीं मिल रही है। इसे लेकर उनकी नाराजगी लगातार बनी हुई है। दरअसल, बैरागी बैरागी अणियों के गुस्से की असल अखाड़े में महामंत्री का पद है। उनकी मांग है कि अखाड़ा परिषद की परंपरा के अनुसार परिषद में महामंत्री का पद उन्हें मिलना चाहिए। 

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अखिल भारतीय अखाड़ा की परंपरा के अनुसार अखाड़ा परिषद में एक बार अध्यक्ष संन्यासी अखाड़ों का और महामंत्री बैरागी अणियों का होगा, अगली बार अध्यक्ष बैरागी अणियों का और महामंत्री संन्यासी अखाड़ा का होगा। वर्ष 2010 में हरिद्वार कुंभ में बैरागी अणियों के श्रीमहंत ज्ञानदास अध्यक्ष और संन्यासी अखाड़ा की ओर से श्रीमहंत हरिगिरि महामंत्री थे। इस लिहाज से वर्तमान में अखाड़ा परिषद के महामंत्री का पद बैरागी अणियों के पास होना चाहिए। पर, ऐसा है नहीं। अब भी श्रीमहंत हरिगिरि ही अखाड़ा परिषद के महामंत्री हैं। 2019 प्रयागराज कुंभ को मिलाकर वर्तमान अखाड़ा परिषद का यह तीसरा कुंभ है।  कुंभ के दौरान बैरागी अणियों, उनके अखाड़े और खालसाओं की संख्या सबसे ज्यादा होती है। खास बात यह ये सभी अधिकांशता: एक साथ ही कुंभ मेला क्षेत्र में पहुंचते हैं। हरिद्वार का पूरा बैरागी कैंप क्षेत्र इनसे भर जाता है, कुंभ मेले की असली रंगत ही इनके आने से होती है। 

बैरागी अखाड़ों को अब तक नहीं हुआ भूमि आवंटन 

बैरागी अखाड़ों को उनके टेंट-पंडाल लगाने को अब तक न तो भूमि का आवंटन हुआ और न ही अन्य कोई सरकारी सहायता ही मिली है। दिगंबर अणि अखाड़े के बाबा बलरामदास बाबा हठयोगी भी इसे लेकर अपनी नाराजगी जता चुके हैं। निर्मोही अणि के अध्यक्ष महंत राजेंद्र दास, निर्वाणी अणि के महंत धर्मदास भी इस मुद्दे को लेकर मुखर हैं। 2010 कुंभ में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत ज्ञानदास भी फरवरी अंत में या फिर मार्च पहले पखवाड़े में हरिद्वार पहुंच रहे हैं। 27 फरवरी को प्रयागराज में माघ मेला का अंतिम स्नान होने पर बैरागी बड़े खालसे भी सीधे हरिद्वार पहुंचेंगे। इनकी कुल सदस्य संख्या करीब 50 हजार बताई जा रही है। ऐसे में इनकी नाराजगी को नजरअंदाज कर पाना अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के लिए आसान नहीं होगा। यदि ऐसा होता है तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के स्वरूप में बदलाव हो सकता है। 

पहले भी अखाड़ा परिषद में हो चुका है दो फाड़ 

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में पहले भी अखाड़ों की उपेक्षा को लेकर दो फाड़ हो चुका है। वर्ष 2010 में हरिद्वार कुंभ में भी दो अखाड़ा परिषद अस्तित्व में आ गई थी। 2013 में प्रयागराज कुंभ में भी यही स्थिति बनी रही। बाद में दूसरी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत बलवंत सिंह ने प्रयागराज मेला अधिष्ठान को लिखित में अपनी अखाड़ा परिषद को भंग कर इस विवाद का पटाक्षेप किया था। 

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