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Haridwar Kumbh Mela 2021: भोर से शुरू हुआ महाकुंभ में सोमवती अमावस्या का स्नान, श्रद्धालुओं ने लगाई आस्‍था की डुबकी

Haridwar Kumbh Mela 2021 Somvati Amavasya 2021 हरिद्वार कुंभ सोमवती अमावस्या के पहले शाही स्नान पर भोर से ही श्रद्धालु सोमवती अमावस्या स्नान पर पुण्‍य लाभ कमाने को हरकी पैड़ी समेत आसपास के गंगा घाटों पर पहुंचने लगे।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 11 Apr 2021 11:53 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 07:07 AM (IST)
Haridwar Kumbh Mela 2021: भोर से शुरू हुआ महाकुंभ में सोमवती अमावस्या का स्नान, श्रद्धालुओं ने लगाई आस्‍था की डुबकी
हरिद्वार कुंभ सोमवती अमावस्या के पहले शाही स्नान पर भोर से ही श्रद्धालु सोमवती अमावस्या स्नान कर पुण्‍य कमाया।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 Somvati Amavasya 2021  हरिद्वार कुंभ सोमवती अमावस्या के पहले शाही स्नान पर भोर से ही श्रद्धालु सोमवती अमावस्या स्नान पर पुण्‍य लाभ कमाने को हरकी पैड़ी समेत आसपास के गंगा घाटों पर पहुंचने लगे। श्रद्धालुओं की आस्था के आगे कोरोना संक्रमण का खौफ कहीं नहीं दिखा और सुबह से ही श्रद्धालुओं की भारी भीड़ हर की पैड़ी ब्रह्मकुंड सहित अन्य गंगा घाटों पर स्नान करने लगी। वहीं, हर की पैड़ी पर सूर्योदय पर सुबह की गंगा आरती हुई।

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श्रद्धालुओं ने गंगा पूजन के साथ ही गंगा में डुबकी लगाई और पुण्य लाभ कमाया। 13 अखाड़ों के स्नान शाही स्नान के चलते श्रद्धालु रोक-टोक से पहले ही हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर स्नान कर लेना चाह रहे थे। बावजूद इसके उन्हें अधिक देर तक हरकी पैड़ी पर स्नान को ठहरने नहीं दिया जा रहा था। कड़ी सुरक्षा में एक-दो डुबकी लगाकर श्रद्धालुओं को हरकी पैड़ी से अन्य घाटों की ओर भेजा जा रहा था। दिन चढ़ने के साथ ही हरकी पैड़ी को पूरी तरह अखाड़ों के लिए आरक्षित कर दिया गया है। 

कोरोनाकाल में कुंभ होने के कारण केंद्र सरकार की ओर से भले ही एसओपी जारी की गई, प्रशासन ने कड़े बंदोबस्त किए हों। श्रद्धालुओं को हरिद्वार में प्रवेश भी कोविड की नेगेटिव रिपोर्ट ओर रजिस्ट्रेशन कराने के बाद दिया गया। 

बावजूद इसके आस्था के सामना कोरोना की लाख बंदिशें बौनी नजर आई। वैसे तो हरकी पैड़ी पर रात 12 बजे के बाद से ही सोमवती अमावस्या का स्नान शुरू हो गया था। पर, इसमें तेजी भोर में ब्रह्ममूहुर्त के बाद से आई। हरकी पैड़ी सहित अन्य घाटों पर स्नान का क्रम ओर तेज हो गया।

 जैसे ही पांच बजे तो पुलिस भी अलर्ट हो गई और अखाड़ों के शाही स्नान के तय समय को देखते हुए हरकी पैड़ी को आरक्षित करने का सिलसिला शुरू किया गया। 

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हरकी पैड़ी पर गंगा स्नान करने वाले श्रद्धालुओं को एक-दो डुबकी लगाने के बाद दूसरे गंगा घाटों पर भेजना शुरू किया गया। लेकिन, श्रद्धालुओं की आगाद श्रद्धा और आस्था के संगम को देखकर मानों ऐसा लग रहा था कि कोरोना की बंदिशें खत्म हो गई हो। 

कड़ी सुरक्षा के चलते दिन चढ़ने के साथ ही यात्रियों को हरकी पैड़ी जाने से रोकना शुरू कर दिया गया। ऐसे में यात्रियों ने दूसरे गंगा घाटों पर ही सोमवती अमावस्या पर पुण्य की डुबकी लगाई। साथ ही दान आदि कर पितरों को याद भी किया।

 और उल्लास में डूबी आस्था की अमावस

दिनेश कुकरेती, हरिद्वार। चारों दिशाएं उल्लास में डूबी हुई हैं। गंगा की लहरों के साथ आस्था भी अपने पूरे वेग से हिलौरें मार रही है। दिन चढ़ने के साथ सूरज का ताप बढ़ता जा रहा है, लेकिन मां गंगा का सानिध्य पाने का मोह कदमों की गति धीमी नहीं पड़ने दे रहा। गाजे-बाजों की गूंज के बीच शाही शान-ओ-शौकत के साथ स्नान को जाते साधु-संन्यासियों की झलक मात्र देखने की चाह श्रद्धालुओं के उत्साह को द्विगुणित कर रही है। हालांकि, कोरोना की दूसरी लहर के चलते श्रद्धालुओं की संख्या कम जरूर है, लेकिन श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। इसीलिए हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड में आम श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित होने के बावजूद कुंभनगरी के अन्य सभी घाट स्नानार्थियों से गुलजार हैं। यह कुंभ के पहले शाही स्नान का दिन है, इसलिए पौ फूटने से पहले ही हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड समेत मालवीय द्वीप को पूरी तरह खाली करा लिया गया है। गंगाजल में सूर्य रश्मियां पड़ने से पूर्व तक यहां आम श्रद्धालुओं के स्नान की मनाही नहीं थी, लेकिन अब यहां सभी तेरह अखाड़ों को स्नान करना है। इसके अखाड़ों की छावनियों में जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। जिन्हें पहले स्नान करना है, उनके शाही जुलूस सजने लगे हैं।

स्नान क्रम में पहली बारी निरंजनी अखाड़े की है। उसके साथ आनंद अखाड़ा भी होगा। इसके बाद जूना अखाड़े के साथ अग्नि व आह्वान अखाड़ों को स्नान करना है और आखिर में महानिर्वाणी और अटल अखाड़ा हरकी पैड़ी पहुंचेंगे। ये सभी संन्यासी अखाड़े हैं, इसलिए इनकी छावनियों में साधु-संन्यासी अपने-अपने अंदाज में बन-संवर रहे हैं। अवधूत भस्म और फूल मालाओं से शृंगार करने में जुटे हैं। बीच-बीच में हर-हर महादेव और बम-बम भोले का जयघोष भोर की बेला का आलौकित कर रहा है। हम भी अब सीधे हरकी पैड़ी पहुंचने को आतुर हैं। जगह-जगह लगे अवरोधों को पार कर करीब नौ बजे हम वहां पहुंच गए। कुछ देर घाटों पर शाही स्नान की तैयारियों का अवलोकन किया कि तभी गाजे-बाजों की गूंज ने हमारा ध्यान खींचा। ठीक सामने वाले पुल से होते हुए अस्त्र-शस्त्रों से सुसिज्जत साधु-संन्यासी और अवधूतों का लश्कर हरकी पैड़ी की ओर बढ़ा चला आ रहा है। सभी को इसी मौके का इंतजार था और चंद मिनट में हरकी पैड़ी घाट अवधूती वैभव में सराबोर हो गया।

कोरोना की दूसरी लहर के चलते श्रद्धालुओं की संख्या अपेक्षानुरूप नहीं है। सड़क खाली पड़ी है, कई जगह सड़कों के किनारे श्रद्धालु सुस्ताते नजर आ रहे हैं। सच कहें तो कुंभनगरी में पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों के जवान और साधु-संत आम श्रद्धालुओं के मुकाबले अधिक नजर आ रहे हैं। लेकिन, सुकून इस बात का है कि चैत्र कृष्ण अमावस्या के संयोग पर हुआ कुंभ का पहला शाही स्नान शांति, सुकून और उल्लास के साथ संपन्न हो गया। चारों दिशाएं उल्लास में डूबी हुई हैं। गंगा की लहरों के साथ आस्था भी अपने पूरे वेग से हिलौरें मार रही है। दिन चढऩे के साथ सूरज का ताप बढ़ता जा रहा है, लेकिन मां गंगा का सानिध्य पाने का मोह कदमों की गति धीमी नहीं पड़ने दे रहा।

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