Move to Jagran APP

Haridwar Kumbh Mela 2021: बैरागी अखाड़ों ने दी अखाड़ा परिषद से अलग होने की चेतावनी

कुंभ समापन की घोषणा से नाराज बैरागी अखाड़ों ने इन अखाड़ों से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा है। चेतावनी दी कि यदि अंतिम शाही स्नान से पहले उन्होंने माफी नहीं मांगी तो वे दोनों उदासीन और निर्मल अखाड़े के साथ कोई भी निर्णय लेने को स्वतंत्र होंगे।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 02:08 PM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 02:08 PM (IST)
Haridwar Kumbh Mela 2021: बैरागी अखाड़ों ने दी अखाड़ा परिषद से अलग होने की चेतावनी
बैरागी कैंप से अतिक्रमण हटाने की मांग करते बैरागी अखाड़ों के संत।

अनूप कुमार, हरिद्वार। Haridwar Kumbh Mela 2021 बढ़ते कोरोना संक्रमण के चलते सात में से छह संन्यासी अखाड़ों के कुंभ समापन की घोषणा से नाराज बैरागी अखाड़ों ने इन अखाड़ों से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने को कहा है। चेतावनी दी कि यदि अंतिम शाही स्नान से पहले उन्होंने माफी नहीं मांगी तो वे दोनों उदासीन और निर्मल अखाड़े के साथ कोई भी निर्णय लेने को स्वतंत्र होंगे। आवश्यकता पड़ी तो अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के नए चुनाव कराने की मांग की जाएगी और यदि ऐसा न हुआ तो नई परिषद के गठन पर भी विचार किया जा सकता है। दूसरी ओर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा कि बैरागी अखाड़ों से इस मुद्दे पर बात की जाएगी।

loksabha election banner

 दो शाही स्नान के बाद श्रीपंचायती निरंजनी, श्रीपंचायती आनंद, श्रीपंचदशनाम जूना, श्रीपंचायती अग्नि, श्रीपंचायती आह्वान और श्रीशंभू अटल अखाड़े कुंभ का विसर्जन कर चुके हैं, महानिर्वाणी अखाड़ा स्पष्ट कर चुका है कि वह अंतिम शाही स्नान में प्रतीकात्मक तौर पर भाग लेगा। अखाड़े ने अभी कुंभ के समापन को लेकर भी कोई निर्णय नहीं लिया है। 

 अखाड़ा परंपरा में हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ के शाही स्नान में संन्यासी अखाड़ों के लिए महाशिवरात्रि, सोमवती अमावस्या और मेष संक्राति का स्नान महत्वपूर्ण होता है। वहीं बैरागी अखाड़ों में शामिल श्रीपंच निर्मोही अणि, श्रीपंच निर्वाणी अणि, श्रीपंच दिगंबर अणि के साथ ही श्रीपंचायती अखाडा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के संन्यासियों के लिए चैत्र पूर्णिमा के शाही स्नान का विशेष महत्व है। 

निर्मोही अणि के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास, निर्वाणी अणि के महामंत्री श्रीमहंत गौरीशंकर दास और दिगंबर अणि के अध्यक्ष श्रीमहंत कृष्णदास ने आरोप लगाया कि संन्यासी अखाड़ों ने अपने शाही स्नान तो धूमधाम से कर लिए और जब बैरागी और उदासीन अखाड़ों की बारी आई तो कुंभ समाप्ति की घोषणा कर दी। उन्होंने कहा कि इस तरह का फैसला लेने का अधिकार केवल अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को है, अखाड़ों को नहीं। अखाड़ा परिषद ने अब तक इस मामले में कोई निर्णय न लेकर साबित किया है कि उसकी भी इसमें मौन सहमति है। बैरागी अखाड़ों का आरोप है कि हरिद्वार कुंभ में अखाड़ा परिषद शुरूसे ही उनकी उपेक्षा कर रही थी। कहा कि परंपरा के अनुसार परिषद में अध्यक्ष या महामंत्री में से एक पद बैरागी अखाड़ों को मिलना चाहिए, लेकिन  दोनों ही पद संन्यासी अखाड़ों के पास हैं। इसलिए बैरागी अखाड़े अपना निर्णय लेने को स्वतंत्र हैं। दावा किया कि दोनों उदासीन अखाड़ों, निर्मल अखाड़े का उन्हें समर्थन प्राप्त है। अंतिम शाही स्नान के बाद बैठक कर इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। 

दूसरी ओर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरिगिरि ने कहा कि वह तीनों बैरागी अणियों की नाराजगी से अवगत हैं। इन दिनों अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि कोरोना संक्रमित होने के कारण ऋषिकेश एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं। उनके स्वस्थ होने पर बैरागी अणियों के साथ इस मुद्दे पर वार्ता की जाएगी। 

यह भी पढ़ें-बैरागी अखाड़े का एलान, कुंभ विसर्जन कर चुके अखाड़े शाही स्नान में न आएं

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.