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Haridwar Kumbh 2021: चार जनवरी के अल्टीमेटम पर अखाड़ों में विचार-विमर्श, जानिए क्‍या बोले संत

Haridwar Kumbh 2021 कुंभ की अव्यवस्थाओं पर प्रदेश सरकार को दिए चार जनवरी के अल्टीमेटम को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और उससे जुड़े अखाड़ों ने रविवार को दिनभर विचार-विमर्श किया।कुंभ के दौरान बाहर से आने वाले संत एवं श्रद्धालुओं के लिए टेंट शिविर आदि लगाने पर भी चर्चा हुई।

By Sumit KumarEdited By: Published: Sun, 27 Dec 2020 09:32 PM (IST)Updated: Sun, 27 Dec 2020 09:48 PM (IST)
Haridwar Kumbh 2021: चार जनवरी के अल्टीमेटम पर अखाड़ों में विचार-विमर्श, जानिए क्‍या बोले संत
परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि व महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने अलग-अलग अखाड़ों के साथ विचार-विमर्श किया।

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: Haridwar Kumbh 2021  कुंभ की अव्यवस्थाओं पर प्रदेश सरकार को दिए चार जनवरी के अल्टीमेटम को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और उससे जुड़े अखाड़ों ने रविवार को दिनभर विचार-विमर्श किया। बैठक में कुंभ के दौरान बाहर से आने वाले संत एवं श्रद्धालुओं के लिए टेंट, शिविर आदि लगाने पर भी चर्चा हुई। संतों ने एक स्वर में कहा कि कोरोना संक्रमण के दौरान जब तमाम गतिविधियां संचालित हो रही हंै तो फिर धार्मिक आयोजन पर पाबंदी क्यों।

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कुंभ की अव्यवस्थाओं पर अखाड़ा परिषद राज्य सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जता चुकी है। कनखल स्थित श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन में 25 दिसंबर को हुई अखाड़ा परिषद की केंद्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सभी 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों ने सर्वसम्मत निर्णय लिया था कि सरकार की ओर से सहयोग न किए जाने पर अखाड़े व संत समाज चार जनवरी के बाद अपने-अपने संसाधनों से कुंभ को दिव्य एवं भव्य बनाने का प्रयास करेंगे। परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि तो यह तक आशंका जता चुके हैं कि सरकार कुंभ कराने की इच्छुक नहीं है। वह मेलाधिकारी दीपक रावत के माध्यम से अपनी आवश्यकता और नाराजगी भी मुख्यमंत्री तक पहुंचा चुके हैं। 

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इधर, चार जनवरी के अल्टीमेटम के बाद भी सरकार की ओर से सकारात्मक संकेत न मिलने पर रविवार को परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि व महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि ने अलग-अलग अखाड़ों के साथ विचार-विमर्श किया। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि कुंभ को परंपरागत स्वरूप में कराने को लेकर संत समाज एकजुट है। श्रीमहंत हरि गिरि ने कहा कि होटल-धर्मशाला में ठहरकर कुंभ नहीं होगा। इसके लिए सरकार और मेला प्रशासन पूर्व की भांति शिविरों के बीच भूमि आवंटन करे। साथ ही इससे जुड़ी सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराए। अन्यथा अखाड़े अपने स्तर से कुंभ को दिव्य एवं भव्य बनाएंगे। 

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