संत की कलम से: सभी कष्टों से मुक्ति दिलाता है कुंभ स्नान- स्वामी ऋषिश्वरानंद
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ अलौकिक और अद्वतीय है। कुंभ का महामात्य वर्णन से परे हैं। इसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। ये एक ऐसा दैवीय आयोजन है जिसमें देवी-देवता मानव जाति एक साथ भाग लेती है और पुण्य की प्राप्ति करती है।
Haridwar Kumbh 2021 कुंभ अलौकिक और अद्वतीय है। कुंभ का महामात्य वर्णन से परे हैं। इसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। ये एक ऐसा दैवीय आयोजन है, जिसमें देवी-देवता, मानव जाति एक साथ भाग लेती है और पुण्य की प्राप्ति करती है। कुंभ स्नान मात्र से सभी कष्टों और पाप से मुक्ति मिल जाती है। कुंभ का स्नान व्यक्ति को सभी मोह माया और बंधनों से मुक्त कर बैकुंठ का अधिकारी बना देता है। इसका आयोजन पर्यावरण की रक्षा का संदेश भी देता है। कुंभ के निमित्त भाग लेने आने वाले सभी श्रद्धालु पतित पावनी गंगा की पूजा-अर्चना कर कर उसमें स्नान करते हैं और पुण्य के भागीदार बनते हैं। यह पूरी प्रक्रिया नदी जल को मां की मान्यता देती है और उसकी रक्षा का संकल्प कराती है।
कुंभ के आयोजन की तिथियां नक्षत्रीय संयोग से निर्धारित होती हैं, जिसे देव लोक की मान्यता भी प्राप्त रहती है। 12 साल में कुंभ के 12 आयोजन होते हैं, जिसमें 8 आयोजन देव लोक और चार धरती लोक पर होते हैं। देवलोके कुंभ आयोजन में धरती लोक के वासियों की भागीदारी पाबंद है। वहीं, धरती लोग के कुंभ में समस्त देवी-देवता और मानव जाति एक साथ सम्मिलित होती है। कुंभ के दौरान पतित पावनी गंगा जल अमृतमयी हो जाता है और अपनी शरण में आने वाले सभी भक्तों, श्रद्धालुओं को आशीर्वाद देकर उनके मानव जन्म को सफल बनाता है।
कुंभ का आयोजन धार्मिक एकता का संदेश भी देता है और अनेकता में एकता को बढ़ावा भी। कुंभ के दौरान पावन गंगा तट पर पूरे विश्व की अलौकिक उपस्थिति कायम हो जाती है और चहुंओर नैनाभिराम नजारे नजर आते हैं। उस समय की छटा देखते ही बनती है। पूरा विश्व एक ही जगह पर विराजमान रहता है और पुण्य की प्राप्ति करता है। साधु-संतों की टोली संत महात्मा और सन्यासी के मुखारविंद से धर्म आध्यात्मिक की गंगा बहती है। श्रद्धालु इसमें क्षण प्रतिक्षण गोते लगाते रहते हैं। धर्म संस्कृति का ऐसा अनोखा मेल कहीं और देखने को नहीं मिलता अन्यत्र इसका कोई उदाहरण नहीं है। कुंभ विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है और सनातन धर्म संस्कृति का शिखर पर्व भी।
[स्वामी ऋषिश्वरानंद, परमाध्यक्ष चेतन ज्योति आश्रम]
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