तीन अखाड़ों के लिए आरक्षित रहेगा बैरागी कैंप क्षेत्र, श्रीमहंत नरेंद्र गिरि से मेलाधिकारी दीपक रावत ने की चर्चा
Haridwar Kumbh 2020 कुंभ के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से संबद्ध दस अखाड़ों को निर्माण कार्यों के लिए 40-40 लाख रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है। तीनों बैरागी अखाड़ों को भी जल्द यह राशि जारी की जाएगी।
हरिद्वार, जेएनएन। Haridwar Kumbh 2020 कुंभ के लिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से संबद्ध दस अखाड़ों को निर्माण कार्यों के लिए 40-40 लाख रुपये की पहली किस्त जारी कर दी गई है। तीनों बैरागी अखाड़ों को भी जल्द यह राशि जारी की जाएगी। निर्माण कार्यों को लेकर अखाड़ों के साथ हुई बैठक में तय हुआ कि बैरागी कैंप क्षेत्र को तीनों बैरागी अखाड़ों, उनसे संबंधित 18 अणियों और खालसाओं के लिए आरक्षित रखा जाएगा। ताकि कुंभ के दौरान इस क्षेत्र का इस्तेमाल वह अपनी-अपनी छावनी स्थापित करने में कर सकें।
सोमवार को मेला अधिष्ठान की टीम ने मेलाधिकारी दीपक रावत के नेतृत्व में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि से मुलाकात की। मेलाधिकारी ने बताया कि अपनी-अपनी भूमि होने के नियम के तहत अभी यह राशि दस अखाड़ों को ही जारी की गई है। शेष तीनों बैरागी अखाड़ों को भी इस नियम को पूरा करते ही यह राशि जारी कर दी जाएगी। इन अखाड़ों के पास हरिद्वार में अपनी भूमि नहीं है। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि अखाड़ा परिषद बैरागी अखाड़ों की समस्या के उचित एवं सर्वमान्य समाधान के लिए कृत संकल्प है। बैरागी अखाड़ों के साथ बैरागी कैंप में ही अपनी छावनी लगाने पर सहमति बन चुकी है।
कहा कि बैरागी अखाड़ों के धर्मस्थलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए अखाड़ा परिषद तैयारी कर रही है। परिषद का प्रतिनिधिमंडल जल्द इस मामले को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री से मिलेगा। श्रीमहंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि अखाड़ा परिषद कुंभ के दौरान सभी अखाड़ों की सुविधा और व्यवस्था को लेकर न सिर्फ चिंतित है, बल्कि मेला अधिष्ठान और सरकार के साथ समन्वय स्थापित कर उसे पूरा कराने का काम भी कर रही है।
जल्द तय होगा पेशवाई और शाही जुलूस मार्ग
कुंभ के दौरान अखाड़ों की पेशवाई और शाही जुलूस को लेकर भी बैठक में चर्चा हुई। तय हुआ कि मेला अधिष्ठान, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और अखाड़ों के साथ समन्वय स्थापित कर इस समस्या का भी सर्वमान्य हल निकाल लिया जाएगा। दरअसल, हाईवे पर बहुतायत में पुल और फ्लाईओवर निर्माण के कारण अखाड़ों की पेशवाई और शाही जुलूस परंपरागत रास्तों से निकालने को लेकर संशय बना हुआ है। पेशवाई और शाही जुलूस के दौरान अखाड़े हाथी-घोड़ों के लाव-लश्कर के साथ बड़ी-बड़ी पताका, झंडे, प्रतीक व धर्मध्वजाएं लेकर चलते हैं। जो वर्तमान स्थिति में संभव नहीं है। ऐसे में पेशवाई और शाही जुलूस का परंपरागत मार्ग बदलना जरूरी हो गया है। इसी समस्या के सर्वमान्य हल को मेला अधिष्ठान प्रयासरत है। इसके लिए अपर मेला अधिकारी हरवीर सिंह की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है, जो सभी अखाड़ों और अखाड़ा परिषद से समन्वय स्थापित कर नए मार्ग का निर्धारण करेगी।