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व्यवहारिक शोध होने पर ऐलोपैथ को पीछे छोड़ सकता है आयुर्वेद : डॉ. हरक सिंह रावत

प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में और अधिक शोध की जरूरत है। व्यवहारिक शोध होने पर ऐलोपैथ को भी आयुर्वेद काफी पीछे छोड़ सकता है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 15 Dec 2019 10:57 AM (IST)Updated: Sun, 15 Dec 2019 01:22 PM (IST)
व्यवहारिक शोध होने पर ऐलोपैथ को पीछे छोड़ सकता है आयुर्वेद : डॉ. हरक सिंह रावत
व्यवहारिक शोध होने पर ऐलोपैथ को पीछे छोड़ सकता है आयुर्वेद : डॉ. हरक सिंह रावत

हरिद्वार, जेएनएन। प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने कहा कि आयुर्वेद के क्षेत्र में और अधिक शोध की जरूरत है। व्यवहारिक शोध होने पर ऐलोपैथ को भी आयुर्वेद काफी पीछे छोड़ सकता है। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय व आरोग्य भारतीय ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय संभाषा आरोग्यम कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए आयुष मंत्री ने यह बात कहीं।

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गुरूकुल आयुर्वेदिक कॉलेज के चरक प्रेक्षागृह में चल रहे समारोह में कई राज्यों के प्रतिनिधि अपने शोध पत्र लेकर पहुंचे हैं। संभाषा कार्यक्रम उद्घाटन दीप प्रज्वलन व धन्वतरि वंदना के साथ किया गया। आयुष मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि आयुर्वेद लोगों को सुलभ और सस्ता उपचार दिलाने में कारगर है। उन्होंने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार व स्वास्थ्य जागरूकता के लिए आरोग्य भारती के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम की अध्यक्षता आरोग्य भारती उत्तराखंड के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. विनोद मित्तल ने की।

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मुख्य वक्ता के रूप में अशोक वाष्ण्रेय ने आरोग्य भारतीय के राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे कार्यक्रमों के विषय में विस्तार से व्याख्यान दिया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुनील जोशी व कुलसचिव प्रो. माधवी गोस्वामी ने भी अपने विचार रखे। आरोग्य भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रो. अवधेश कुमार ने कहा कि राज्य में आरोग्य भारतीय के प्रयास मील का पत्थर साबित होंगे। इस अवसर पर परिसर निदेशक प्रो. अरूण कुमार त्रिपाठी, संस्था के जिलाध्यक्ष प्रो. संजय त्रिपाठी, प्रो. प्रेमचंद शास्त्री, डॉ. संजय गुप्ता, प्रो. रमाकांत यादव, प्रो. संजय गोस्वामी, डॉ. महेश दाधीच सहित विभिन्न प्रांतों से आए लगभग 450 प्रतिभागी मौजूद रहे।

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