रिजैक्ट:::फोटो 11,,भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा का विशेष महत्व: स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी
जागरण संवाददाता हरिद्वार श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचार
फोटो 11,,भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा का विशेष महत्व: स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी
जागरण संवाददाता, हरिद्वार: श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि गुरु पूर्णिमा पर्व गुरु शिष्य परंपरा को दर्शाता है। भारतीय संस्कृति में इसका विशेष महत्व है। गुरु चरणों में उपस्थित साधक को ज्ञान शांति और भक्ति की प्राप्ति होती है। श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित गुरु पूर्णिमा महोत्सव में शामिल होने आए भक्तों को संबोधित करते उन्होंने कहा कि आदि अनादि काल से गुरु शिष्य परंपरा भारत वर्ष में चली आ रही है। ज्ञान के द्वार का रास्ता गुरु ही शिष्य को दिखलाता है। गुरुओं का सम्मान ईश्वर के सम्मान जैसा होता है। सनातन धर्म में गुरु का स्थान सर्वोपरि है। समाज को गति प्रदान करने में अच्छे गुरुओं की निर्णायक भूमिका हमेशा रही है। उन्होंने कहा कि गुरुओं का सम्मान नितांत जरूरी है। गुरु का सम्मान किए जाने से परिवारों में सुख समृद्धि और धन संपदा का वास होता है। गुरु की कृपा से परिवार के सभी कष्ट दूर होते हैं। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि पूरी दुनिया में भारत एक मात्र देश है जहां गुरु शिष्य संबंधों को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है। हमारी संस्कृति ही हमें देश दुनिया में विशिष्ट स्थान प्रदान करती है। आज के दिन अपने गुरु की पूजा और तिलक करने से गुरु की कृपा अपने शिष्यों पर सदैव बनी रहती है। उन्होंने कहा कि गुरु ही शिष्य को प्रगति के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। गुरु के सानिध्य में ही शिष्य का जीवन सफलताओं को अर्जित करता है। इस अवसर पर आचार्य पवनदत्त मिश्र, बाल मुकुंदानंद ब्रह्मचारी, अंकुश शुक्ला, स्वामी शिवानंद, अनुज दुबे, अनुराग वाजपेयी, अनूप भारद्वाज, पंडित शिवकुमार सहित बड़ी संख्या में लोगों ने स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी का पूजन आशीर्वाद लिया।