हाथियों के झुंड ने रौंदी छह बीघा गन्ने की फसल
पथरी क्षेत्र में बुधवार रात को आया हाथियों का एक झुंड वापस लौटने के बजाय आबादी के पास एक गन्ने के खेत में जमा रहा। सुबह होने पर खेत में हाथियों को देखकर किसानों के होश उड़ गए।
संवाद सहयोगी, हरिद्वार: पथरी क्षेत्र में बुधवार रात को आया हाथियों का एक झुंड वापस लौटने के बजाय आबादी के पास एक गन्ने के खेत में जमा रहा। सुबह होने पर खेत में हाथियों को देखकर किसानों के होश उड़ गए। इस दौरान हाथियों ने करीब छह बीघा गन्ने की फसल को पूरी तरह से रौंद डाला। सूचना मिलने पर हरिद्वार रेंजर दिनेश प्रसाद नौड़ियाल वन टीम के साथ मौके पर पहुंचे। इसके बाद कई राउंड हवाई फायरिग कर बामुश्किल हाथियों को गंगा पार जंगल में खदेड़ा जा सका। फिर जाकर विभाग और ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।
बुधवार रात हाथियों के झुंड पथरी क्षेत्र में पहुंचे थे। इनमें से चार हाथियों का एक झुंड वापस नहीं लौट सका। यह झुंड बिशनपुर गांव के पास गन्ने के खेत में ठहर गया। कुछ किसानों ने हाथियों को देखकर शोर मचाना शुरू कर दिया, लेकिन हाथी ग्रामीणों की ओर ही दौड़ पड़े। इससे घबराए किसानों ने वन विभाग को सूचना दी। सूचना पर हरिद्वार रेंजर दिनेश प्रसाद नौड़ियाल ने वन टीम के साथ हाथियों को गन्ने के खेत में घेराबंदी करके रोक लिया। इसके बाद ग्रामीणों को खेतों से हटाकर गांव में ही रहने का एनाउंसमेट शुरू कर दिया। इसके बाद हवाई फायरिग कर हाथियों को जंगल में खदेड़ने के लिए वन टीम लग गई। वन टीम की ओर से चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद हाथियों को जंगल में भगाया गया। इस दौरान हाथियों ने वन टीम पर भी हमले का प्रयास किया, लेकिन वन टीम ने सतर्कता के साथ हाथियों को बिना किसी जान-माल के नुकसान किए सुरक्षित वापस लौटा दिया। इस मौके पर वन्य जीव सुरक्षा दल प्रभारी अजय ध्यानी, डिप्टी रेंजर राजेश कुमार, वन दारोगा गौतम राठौर, गजेंद्र सिंह, वन आरक्षी श्याम लाल, नवल पाठक, विक्रम आदि मौजूद रहे।
ग्रामीणों ने वन ंिवभाग पर लगाया लापरवाही का आरोप
पीड़ित किसानों ने नष्ट फसलों का मुआवजा देने के साथ ही हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने की मांग की। ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे अधिकारियों पर गश्त न करने का भी आरोप लगाया। उनका कहना था कि फोन करने के बाद भी गश्त टीम के कर्मचारी हाथियों को खदेड़ने के लिए उनका सहयोग नहीं करते हैंॉ, जबकि वनाधिकारी गश्त करने का दावा करते रहे। इसको लेकर कई बार किसानों व वनाधिकारियों में हल्की नोकझोंक भी हो गई।