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युगसाहित्य में समस्याओं का समाधान निहित: डा. पंड्या

माता भगवती देवी शर्मा के 95वें जन्मदिवस पर रविवार को शांतिकुंज में सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्ग्रंथ स्थापना के क्रम में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। शोभायात्रा में सिर पर युग साहित्य धारण किए आश्रमवासी कार्यकत्र्ता और विभिन्न साधना शिविरों से आए साधकों ने भाग लिया। साथ ही महाशक्ति की लोकयात्रा आडियो बुक का विमोचन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 19 Sep 2021 08:09 PM (IST)Updated: Sun, 19 Sep 2021 11:30 PM (IST)
युगसाहित्य में समस्याओं का समाधान निहित: डा. पंड्या
युगसाहित्य में समस्याओं का समाधान निहित: डा. पंड्या

जागरण संवाददाता, हरिद्वार : माता भगवती देवी शर्मा के 95वें जन्मदिवस पर रविवार को शांतिकुंज में सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्ग्रंथ स्थापना के क्रम में भव्य शोभायात्रा निकाली गयी। शोभायात्रा में सिर पर युग साहित्य धारण किए आश्रमवासी कार्यकत्र्ता और विभिन्न साधना शिविरों से आए साधकों ने भाग लिया। साथ ही महाशक्ति की लोकयात्रा आडियो बुक का विमोचन किया गया। इस अवसर पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डा. पंड्या ने कहा कि इस युग के भगीरथ परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य में समस्त समस्याओं का समाधान निहित है।

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शोभायात्रा गायत्री परिवार के जनक युगऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगवती देवी शर्मा की पावन समाधि से साहित्यों के पूजन के साथ प्रारंभ हुई। शोभायात्रा की अग्रिम पंक्ति में शंख, मंजिरा, ढपली, बैंड के साथ सुमधुर गीत गाते हुए संगीत की टोली चल रही थी तो वहीं भव्य झांकियां सभी को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर रही थी। बच्चे से लेकर सभी आयु के भाई-बहन उत्साह के साथ गीत गाते चल रहे थे। शोभायात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ। विभिन्न स्थानों से गुजरती हुई शोभायात्रा शांतिकुंज के मुख्य द्वार पहुंची। जहां अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डा. प्रणव पंड्या और शैलदीदी ने पूजन किया। इस अवसर पर डा. पंड्या ने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव के साहित्य में समस्त समस्याओं का समाधान निहित है। उनके साहित्य का अध्ययन करें। मनन करें और उसे व्यावहारिक जीवन में उतारें। उन्होंने कहा कि पचास वर्ष पूर्व जिस स्थान से शांतिकुंज की शुरुआत हुई, उसकी प्रगति देख सभी प्रसन्न हैं। इस अवसर पर उन्होंने महाशक्ति की लोकयात्रा (माता भगवती देवी शर्मा की जीवन यात्रा) पर आधारित आडियो बुक का विमोचन किया।

ऋषियुग्म की पावन समाधि स्थल पहुंचने के साथ ही शोभायात्रा सभा के रूप में परिवर्तित हो गयी। शांतिकुंज के वरिष्ठ भाइयों ने ज्ञानगंगा के अवतरण के इस क्रम को सतत चलाते रहने की प्रेरणा दी। महाआरती और जयघोष के बाद सभा का विसर्जन हुआ। सद्गुरु ज्ञानगंगा सद्ग्रंथ स्थापना के इस क्रम में देश-विदेश के अनेक शाखाओं की ओर से भी भव्य शोभायात्रा निकाली गयी और माताजी को श्रद्धांजलि अर्पित की। सायंकाल दीपमहायज्ञ में सद्ज्ञान के विस्तार के लिए जन-जन तक युगसाहित्य पहुंचाने के लिए बड़ी संख्या लोग संकल्पित हुए।


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