उत्तराखंड में सुकून के बीच भी समस्या बनकर उभरे मैदानी जिले, इन चार जिलों में आए कोरोना के ज्यादा मामले
उत्तराखंड में कोरोना की सबसे ज्यादा मार चार मैदानी जिलों पर पड़ी है और अब घटते संक्रमण के बीच भी ये जिले चिंता का सबब बने हुए हैं। कारण ये कि यहां नए मामलों में निरंतरता बनी हुई है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड में कोरोना की सबसे ज्यादा मार चार मैदानी जिलों पर पड़ी है और अब घटते संक्रमण के बीच भी ये जिले चिंता का सबब बने हुए हैं। कारण ये कि यहां नए मामलों में निरंतरता बनी हुई है। पिछले दो माह में करीब 82 फीसद मामले इन्हीं चार जनपदों में आए हैं। सुकून इस बात का है कि पहाड़ पर संक्रमण की रफ्तार अब थम गई है।
प्रदेश में 15 मार्च को कोरोना संक्रमण का पहला मामला सामने आया था। इसके बाद से संक्रमण के कई उतार चढ़ाव प्रदेश ने देखे हैं। सितंबर माह में कोरोना ने सर्वाधिक सितम ढाया। पर पिछले कुछ वक्त से कोरोना काफी हद तक नियंत्रण में है। नए मामले मिलने की दर, संक्रमण दर, मृत्यु दर और रिकवरी दर, अब बेहतर है। इस सुकून के बीच भी मैदानी जिले समस्या बनकर उभरे हैं। पिछले दो माह में प्रदेश में कोरोना के 6072 मामले आए, जिनमें 5033 मामले चार मैदानी जिलों में पाए गए। चिंता इस बात की भी है कि मैदानी जिलों में ही आवागमन सबसे ज्यादा है। उस पर आम जन ने मास्क, सैनिटाइजेशन व शारीरिक दूरी समेत अन्य एहतियात बरतनी भी बंद कर दी है। बाजार से लेकर दफ्तरों व सार्वजनिक कार्यक्रमों में नियम तार-तार हो रहे हैं। उस पर महाविद्यालय, विश्वविद्यालय भी अब खुल गए हैं। साथ ही महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन भी होने हैं। ऐसे में डर ये है कि कहीं यहां भी हालात महाराष्ट्र, केरल या पंजाब जैसे न बन जाएं।
जनवरी-फरवरी में आए मामले
जनपद---------------मामले----------------फीसद में
देहरादून:---------------2445---------------40
नैनीताल:---------------1333----------------22
हरिद्वार:---------------807----------------13
ऊधमसिंहनगर:---------------448----------------7
(कुल मामले:6072)
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