खंडहरों में तब्दील होते लाखों खर्च कर बनाए गए भवन
संवाद सूत्र, लालढांग: गैंडीखाता स्थित गुर्जर बस्ती में लाखों रुपये की लागत से बने भवन प्रशासनिक लाप
संवाद सूत्र, लालढांग: गैंडीखाता स्थित गुर्जर बस्ती में लाखों रुपये की लागत से बने भवन प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी से जर्जर होने की ओर बढ़ रहे हैं। गुर्जर परिवारों के विस्थापन के समय ये भवन बनाए गए थे, जिसमें से मात्र तीन को ही इस्तेमाल में लाया गया बाकी पांच भवन अपनी बदहाली के दिन गिन रहे हैं।
2002 में राजाजी टाइगर रिजर्व और वन विभाग के जंगल में रह रहे गुर्जर परिवारों को तत्कालीन राज्य सरकार ने विस्थापन की नीति बनाते हुए गुर्जर बस्ती गैंडीखाता और पथरी में विस्थापित किया गया था। गैंडीखाता स्थित गुर्जर बस्ती वन विभाग के कैंपस में करीब आठ भवनों का निर्माण कराया गया था। जिसमें स्वास्थ्य केंद्र, पशु अस्पताल, पंचायत भवन, सामुदायिक केंद्र, राजकीय प्राथमिक विद्यालय जैसी सुविधाएं मुहैया कराई जानी थी। वर्तमान में एक भवन में प्राथमिक विद्यालय, एक में वन विभाग का कार्यालय, एक में उच्च प्राथमिक विद्यालय और एक भवन राशन डीलर को आवंटित किया गया है। अन्य भवन रखरखाव के अभाव में खंडहर में तब्दील होते जा रहे हैं। भवनों के बाहर और अंदर बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं। कई भवनों को तो जंगली जानवरों ने अपना आशियाना बना रखा है। गुर्जर रोशनदीन, बाबू खटाना, सफी लोढ़ा, शमशेर कसाना, आजाद चेची, नूर आलम, जाकिल हुसैन ने बताया कि जब उनको यहां विस्थापित किया गया था। उस समय सभी सुविधाएं देने का वादा किया गया था। भवन बने वर्षो बीत चुके हैं, अभी तक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर की तैनाती नहीं हो सकी है और ना ही पशु चिकित्सालय शुरू हो पाया है। कहा कि इसके लिए कई बार पुनर्वास निदेशालय को लिखित पत्र देने के साथ ही अन्य माध्यम से भी अवगत कराया गया है, लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं हो पाया है।