मिड सेमेस्टर परीक्षाओं और ऑनलाइन शिक्षण के आधार पर फाइनल ग्रेडिग
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने लॉकडाउन में स्प्रिंग सेमेस्टर को पूरा करने की योजना बनाई है।
जागरण संवाददाता, रुड़की: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की ने लॉकडाउन में स्प्रिंग सेमेस्टर को पूरा करने की योजना बनाई है। इसमें मौजूदा नियमों में बदलाव करते हुए कई विशेष प्रावधान किए हैं। इसके तहत सेमेस्टर के पूरा होने पर छात्रों को मिड सेमेस्टर परीक्षाओं में प्रदर्शन व ऑनलाइन शिक्षण के दौरान किए मूल्यांकन के आधार पर फाइनल ग्रेडिग दी जाएगी।
कोविड-19 महामारी के कारण देशभर में लॉकडाउन है। वहीं लॉकडाउन के दौरान भी आइआइटी रुड़की ने ऑनलाइन शिक्षण विधियों का उपयोग करके सेमेस्टर जारी रखा। वहीं अब संस्थान ने 2019-20 स्प्रिंग सेमेस्टर को सुचारू और समय पर पूरा करने के लिए नई योजना तैयार की है। इसके तहत स्प्रिंग सेमेस्टर 2019- 2020 में छात्रों के प्रदर्शन को प्रोग्राम्स के एकेडमिक परफॉरमेंस-बेस्ड टर्मनेशन, स्लो पेस प्रोग्राम्स और ऐसे अन्य क्लॉज के लिए नहीं गिना जाएगा। संस्थान ने बिना ग्रेड प्वाइंट के पास लेटर ग्रेड को सैटिस्फैक्टरी (एस) ग्रेड में बदलने के लिए एक प्रणाली शुरू की है। अगर छात्र इसके लिए अनुरोध करता है। वहीं विभिन्न मूल्यांकन कम्पोनेंट्स की वेटेज रेंज को भी संशोधित किया है। इसके अलावा छात्रों के पास अपने ग्रेड में सुधार करने के लिए पुन: परीक्षा में बैठने का विकल्प भी होगा। यह जानकारी संस्थान के मीडिया सेल की ओर से दी गई है। ऑनलाइन मूल्यांकन मोड शुरू
रुड़की: संस्थान ने एमटेक, पीएचडी थीसिस और बीटेक प्रोजेक्ट्स के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन मोड शुरू किए हैं, जो छात्र अपनी थीसिस में अधिक काम करना चाहते हैं उन्हें अपने मूल्यांकन को स्थगित करने की अनुमति दी गई है। इसी तरह एमटेक (एक वर्ष) और पीएचडी कोर्स के सेमीनार के लिए जो छात्र तैयार नहीं हैं और उन्हें अधिक समय की आवश्यकता है, वे मूल्यांकन स्थगित करने का अनुरोध कर सकते हैं। मूल्यांकन अगले सेमेस्टर के पहले चार सप्ताह के भीतर आयोजित किया जाएगा। ग्रेड से संतुष्ट नहीं होने वाले छात्र दे सकेंगे परीक्षा
रुड़की: आइआइटी रुड़की के डीन एकेडमिक प्रो. एनपी पाढ़ी ने बताया कि चार मानदंडों के आधार पर छात्रों को ग्रेड दिया जाएगा। बताया कि इनमें मिड टर्म, क्लासरूम एंड प्रेक्टिकल सेशनल, वीडियो ऑनलाइन एंड असाइनमेंट और पहले के सेमेस्टर के सीजीपीए शामिल हैं। प्रो. पाढ़ी ने बताया कि इन सबके आधार पर सबसे पहले छात्रों को ग्रेड दिया जाएगा। यदि कोई छात्र इस ग्रेड से संतुष्ट नहीं होता है तो फिर उसे सैटिस्फैक्टरी (एस) ग्रेड मिलेगा। सैटिस्फैक्टरी ग्रेड मिलने के बाद भी यदि कोई छात्र संतुष्ट नहीं होगा तो फिर उसके पास परीक्षा देने का विकल्प रहेगा।