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खेती बचाने को किसानों की अनोखी पहल, इस तरह बन रहे मालामाल

नर्इ टिहरी जिले में किसानों की पहल रंग लार्इ है। इस पहल से किसान न सिर्फ खेतों को बचा रहे हैं। बल्कि मालामाल भी हो रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 11 Sep 2018 08:54 PM (IST)Updated: Tue, 11 Sep 2018 09:50 PM (IST)
खेती बचाने को किसानों की अनोखी पहल, इस तरह बन रहे मालामाल
खेती बचाने को किसानों की अनोखी पहल, इस तरह बन रहे मालामाल

चंबा, [जेएनएन]: समय के साथ किसानों ने मौसम और जंगली जानवरों से खेती बचाने को पहल की। यही पहल अब किसानों को मालामाल कर रही है। किसानों ने बदलते मौसम के लिए पॉली हाउस बनवाए, तो वहीं दूसरी ओर जंगली जानवरों से बचाने को खेतों की घेरबाड़ कराई जा रही है। जिन किसानों ने ऐसा किया है, उनकी फसलें अब सुरक्षित हैं। वहीं, परियोजना प्रबंधक का कहना है कि तारों की घेरबाड़ का यह प्रयोग सफल रहा है। इसे अन्य गांवों में भी कराया जाएगा। 

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प्रखंड के आधा दर्जन से अधिक गांव ऐसे हैं, जहां जंगली जानवर फसलों को बर्बाद कर देते थे, लेकिन जब से खेतों में तार की घेरबाड़ की गई है। तब से फसलें सुरक्षित हैं। आठ माह पूर्व एकीकृत आजीविका परियोजना के तहत सिलकोटी, कोठी, दुबाकोटी, चोपड़ीयाल गांव, चवालखेत, नवागर, कुमार गांव, इंडवालगांव आदि गांवों के खेतों की कराई गई तारों की घेरबाड़ का प्रयोग किसानों के लिए काफी फायदेमंद रहा है। इस नई योजना का अब अन्य गांवों में भी विस्तार किया जाएगा। 

इससे पहले किसानों की आय बढ़ाने को लेकर आजीविका परियोजना के तहत गांवों में बैठक की गई थी, तो ग्रामीणों ने फसलों के नुकसान की बात रखी। ग्रामीणों ने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण जंगली जानवर हैं, जो फसल को बर्बाद करते हैं। इस पर आजीविका परियोजना के विशेषज्ञों ने खेतों में तार की घेरबाड़ कराने का निर्णय लिया। इस योजना के तहत उन किसानों का चयन किया गया जिनके खेत एक ही जगह पर हैं। इस योजना से घेरबाड़ के लिए तारों का जाल उपलब्ध कराया जाता है। 

सिलकोटी गांव के दलबीर सिंह पुंडीर का कहना है कि जंगली जानवरों के कारण मैने खेती करनी छोड़ दी थी। लेकिन जब आजीविका परियोजना ने तारों की घेरबाड़ करने की योजना बनाई। तब से खेती करना शुरू कर दी है। करीब डेढ़ किमी की दूरी तक सात फुट उंची तारों की घेरबाड़ करने की बाद अब फसल सुरक्षित है। परियोजना प्रबंधक डॉ. हीराबल्लभ पंत ने कहा कि खेती सुरक्षा के लिए तारों की घेरबाड़ की योजना सफल है। जहां कई किसानों के खेत एक साथ हैं वे आपस में सहमति बनाकर खेतों के किनारे तारों की घेरबाड़ करा सकते हैं। परियोजना उन्हें घेरबाड़ के लिए तारों के जाल उपलब्ध कराएगी। 

नागणी में पॉलीहाउस के अंदर खेतों में उगे टमाटर 

बदलते मौसम चक्र के चलते समय से पहले या बाद में हो रही बारिश का असर नकदी फसलों पर भी पड़ रहा है। ऐसे में पॉलीहाउस कारगर साबित हो रहे हैं। यही कारण है कि उद्यान विभाग ने पिछली बार की अपेक्षा इस बार पॉलीहाउस की दोगुनी डिमांड भेजी गई है। इसमें बेमौसमी फसलों की पैदावार अच्छी होने के साथ-साथ इससे जुड़े काश्तकारों की आर्थिकी भी सुधर रही है।

पॉलीहाउस फसल को सुरक्षित रखने में सुरक्षित साबित हो रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण इस बार हेंवलघाटी में देखा जा सकता है। हेंवलघाटी में इस बार टमाटर को काफी नुकसान पहुंचा था। लेकिन जिन टमाटर को पॉलीहाउस के भीतर लगाए उनका उत्पादन अच्छा हुआ है और यह उत्पादन अक्टूबर तक चलने वाला है। बेमौसमी फसलों के लिए पॉलीहाउस पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों में कारगर साबित हो रहे हैं। पिछले बार यहां 31 पॉलीहाउस लगाए थे। लेकिन इस बार क्षेत्र के 60 काश्तकारों ने पॉलीहाउस के लिए आवेदन किया है। 

उद्यान विभाग ने भी इसके लिए करीब 50 पॉलीहाउस की डिमांड भेजी है। तीन-चार वर्ष पूर्व तक काश्तकारों को इसकी पर्याप्त जानकारी नहीं थी। अब किसानों का रुझान इस तरफ बढ़ने लगा है। जिला उद्यान अधिकारी डॉ. डीके तिवारी ने कहा कि पॉलीहाउस की लगातार डिमांड बढ़ रही है। इस बार करीब 60 किसानों के आवेदन आए हैं। विभाग ने भी इसकी डिमांड भेजी है स्वीकृति मिलने पर किसानों को यह उपलब्ध करवाई जाएगी।

यह है खासियत

-फसलों को कीटों से बचाता है। 

-अधिक बारिश में पौधों को नुकसान नहीं पहुंचता है। 

-इसके अंदर तापमान बराबर रहता है।

-अधिक ठंडक में भी अच्छा उत्पादन करता है।

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