किसानों का रुख देख भाजपा में दिख रही बेचैनी
कृषि कानून को लेकर जिले के अधिकांश किसान संगठन दिल्ली कूच कर गए हैं।
जागरण संवाददाता, रुड़की: कृषि कानून को लेकर जिले के अधिकांश किसान संगठन दिल्ली कूच कर गए हैं। ऐसे में भाजपा की बेचैनी बढ़ गई है। इसकी वजह यह भी है कि जिले में पंचायत चुनाव भी प्रस्तावित है। ऐसे में परेशानी बढ़ सकती है।
हरिद्वार कृषि प्रधान जिला है। जिले की राजनीति किसानों के इर्द-गिर्द ही घूमती है। कृषि कानून को लेकर विरोध पंजाब और हरियाणा में ही चल रहा था। लेकिन, अब इसका असर हरिद्वार जिले में भी दिखाई देने लगा है। एक-एक कर किसान संगठन दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। किसान इस बात को लेकर नाराज हैं कि सरकार उन्हें गन्ने का भुगतान दिला नहीं पाई। गन्ने के दाम भी घोषित नहीं हुए। साथ ही धान की खरीद में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की गई है। किसानों के बड़ी संख्या में दिल्ली जाने के बाद से भाजपा भी बेचैन दिखाई दे रही है। दरअसल, जिले में फरवरी, मार्च माह में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव प्रस्तावित हैं। हालांकि कुछ नए नगर निकाय बनने की वजह से चुनाव मई या जून में हो सकते हैं। इसे लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि किसानों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने भी कमर कस ली है। भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. जयपाल सिंह चौहान ने बताया कि किसान बहुत भोले हैं, उन्हें भ्रमित किया जा रहा है। चार नवंबर को केंद्रीय अध्यक्ष का कार्यक्रम है। इसके बाद सभी मंडलों में किसानों से वार्ता की जाएगी। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। संगठन की ओर से पत्रक भी निकाला जाएगा, जिसमें इस कानून के लाभ बताए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कानून किसानों के खिलाफ नहीं है।
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उत्तराखंड से यह संगठन कर चुके दिल्ली कूच
- भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट
- भारतीय किसान यूनियन रोड गुट
- भारतीय किसान यूनियन अंबावत गुट
- भारतीय किसान यूनियन बेदी गुट
- राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन
- उत्तराखंड किसान मोर्चा