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हल्द्वानी,, फोटो-11-12--संस्कृत के विकास को अभी और कार्य करने की जरूरत

संवाद सूत्र बहादराबाद यद्यपि संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है लेकिन आज वह मृतप्राय है। इ

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Feb 2020 09:25 PM (IST)Updated: Fri, 28 Feb 2020 09:25 PM (IST)
हल्द्वानी,, फोटो-11-12--संस्कृत के विकास को अभी और कार्य करने की जरूरत
हल्द्वानी,, फोटो-11-12--संस्कृत के विकास को अभी और कार्य करने की जरूरत

संवाद सूत्र, बहादराबाद: यद्यपि संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है लेकिन आज वह मृतप्राय है। इसके विकास को अभी और कार्य करने की जरूरत है। 40 हजार से अधिक लोक संस्कृत भाषा का बोल चाल में इस्तेमाल करते है। यह संख्या और बढ़ाने के लिए संस्कृत का व्यापक प्रचार प्रसार करना होगा। यह कहना है प्रदेश के संस्कृत शिक्षा सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी का। जिन्होंने शुक्रवार को उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय अंतर महाविद्यालयी क्रीड़ा प्रतियोगिता के समापन समारोह शिरकत की। उन्होंने कहा संस्कृत के उत्थान को लोगों में जागरुकता पैदा करनी होगी। क्योंकि सरकार के संसाधन सीमित होते हैं।

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विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा संस्कृत भाषा के बिना समाज अधूरा है। उन्होंने वालीबाल, कबड्डी, योगासन के पुरूष व महिला वर्ग के विजेताओं को ट्रॉफी प्रदान कर पुरस्कृत किया। इस दौरान डॉ. शैलेश कुमार तिवारी, डॉ. प्रतिभा शुक्ला, डॉ. हरीश चंद्र तिवाड़ी, डॉ. बिन्दुमती द्विवेदी, कुलानुशासक डॉ. मनोज किशोर पंत, डॉ. रत्न लाल, डॉ. दामोदर परगांई, उप कुलसचिव दिनेश कुमार, मीनाक्षी, डॉ. अरविन्द नारायण मिश्र, डॉ. राकेश कुमार सिंह मौजूद रहे।


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