Move to Jagran APP

यहां सरकारी सुस्ती से PCS में भर्ती होने के युवाओं के सपने नहीं हो रहे पूरे, जानिए

प्रशासनिक सेवाओं के खाली पदों के लिए तय मापदंड आरक्षण इत्यादि के रोस्टर के साथ राज्य लोक सेवा आयोग को समय ने देने के कारण उत्तराखंड निर्माण के 20 वर्षों में आयोग मात्र छह पीसीएस परीक्षा ही आयोजित करा सका है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:03 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:03 PM (IST)
यहां सरकारी सुस्ती से PCS में भर्ती होने के युवाओं के सपने नहीं हो रहे पूरे, जानिए
सरकारी सुस्ती से PCS में भर्ती होने के युवाओं के सपने नहीं हो रहे पूरे।

हरिद्वार, अनूप कुमार। लालफीताशाही और कर्तव्य के प्रति जवाबदेही की प्रशासनिक लापरवाही राज्य प्रशासनिक सेवा (पीसीएस) में भर्ती होने की तैयारी कर रहे उत्तराखंड के युवाओं के सपनों पर कुठाराघात कर रही है। प्रशासनिक सेवाओं के खाली पदों के लिए तय मापदंड आरक्षण इत्यादि के रोस्टर के साथ राज्य लोक सेवा आयोग को सही समय पर सूचना न देने के कारण उत्तराखंड निर्माण के 20 वर्षों में आयोग मात्र छह पीसीएस परीक्षा ही आयोजित करा सका है, जबकि इस दौरान आयोग ने राज्य न्यायिक सेवा (पीसीएस-जे) की 12 परीक्षा न सिर्फ आयोजित की, बल्कि उनमें से 11 का अंतिम परीक्षाफल भी घोषित कर दिया। बारहवीं परीक्षा की प्रक्रिया चलायमान है। 

loksabha election banner

पीसीएस परीक्षाओं में देरी के कारण राज्य प्रशासनिक सेवा में जाने का सपना संजोए तैयारी कर रहे उत्तराखंड के तमाम युवा तय आयु सीमा पार कर ओवरऐज हो गए हैं, जबकि कई ओवरएज होने की कगार पर हैं। प्रदेश में सामान्य वर्ग के परीक्षार्थियों की आयु सीमा 42 वर्ष और आरक्षित वर्ग(जिसमें एससी, एसटी, ओबीसी सहित अन्य सभी शामिल हैं) के लिए 47 वर्ष निर्धारित है। पर, सरकारी सुस्त के कारण पीसीएस परीक्षा समय से न होने से यह आयु सीमा उनके काम नहीं आ रही।

राज्य के बेरोजगार स्नातक युवाओं को उनके मन-मुताबिक प्रशासनिक सेवा में रोजगार का अवसर मुहैया कराने को परीक्षा के लिए पदों की आवश्यकता आदि से जुड़ी ब्यूरोक्रेसी की सुस्त रफ्तार का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वर्ष 2018 में राज्य लोकसेवा के 26 खाली पदों के सापेक्ष परीक्षा कराने को सरकार ने आयोग को निर्देशित किया था। इसमें आरक्षण के राज्य सरकार के तय मापदंड की पूर्ति न होने के कारण लोक सेवा आयोग ने सरकार को इसे पूरा करने के लिए उसी वक्त वैकेंसी लौटा दी थी। अफसोस कि संबंधित विभाग और जिम्मेदार दो वर्ष से अधिक की अवधि में अब तक यह काम पूरा न कर सके, मामला अब तक लटका हुआ है। नतीजतन, यह पद अब तक खाली ही हैं और इन पर कोई भर्ती नहीं हुई।

अब 2020 में सरकार ने सरकार ने इन 26 पदों को समाहित करते हुए राज्य सेवा के 11 विभागों के 98 मदों के सापेक्ष पीसीएस परीक्षा आयोजित कराने को कहा था। पर, इसमें भी आरक्षण के संदर्भ में राज्य सरकार के समय-समय पर लिए गए फैसलों के मुताबिक तय मापदंड पूरे नहीं थे। आयोग ने इसे पूरा करने को सरकार को इसे लौटा दिया है। अभी तक आरक्षण के तय मापदंड पूरा कर वैकेंसी आयोग को प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि करीब सात माह कोविड-19 संक्रमण के बाद पीसीएस परीक्षा को लेकर जो उम्मीद जगी थी, वह अब सरकारी मशीनरी की सुस्ती के चलते धूमिल पड़ती जा रही है।

पहली पीसीएस परीक्षा 2002, अब तक की आखिरी 2016 में

उत्तराखंड निर्माण के बाद राज्य लोक सेवा आयोग से छह पीसीएस परीक्षा का आयोजन किया है। पहली परीक्षा वर्ष 2002 में हुई थी, जबकि छठीं 20116 में। आयोग ने वर्ष 2002 में 17 विभागों की 383 पदों, 2004 में 8 विभागों के 82 पदों, 2006 में 9 विभागों के 64 पदों, 2010 में 10 विभागों के 213 पसों, 2012 में 17 विभागों के 193 पदों और 2016 में 6 विभागों के 58 पदों की भेजी गई रिक्तियों के सापेक्ष लोक सेवा आयोग पीसीएस परीक्षा का आयोजन करा उनका अंतिम परीक्षाफल भी घोषित कर चुका है। 

पीसीएस-जे की 12 परीक्षाओं का आयोजन

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ने राज्य न्यायिक सेवा(पीसीएस-जे) के लिए 12 परीक्षाओं का आयोजन किया, जिसमें से 11 का परीक्षाफल भी घोषित कर दिया गया। बाहरवीं पीसीएस-जे परीक्षा की कार्यवाही गतिमान है। पीसीएस-जे परीक्षा 2002, 2004, 2005, 2008, 2009, 2011, 2012, 2013, 2015, 2016, 2018 में आयोजित हुई, जिनके अंतिम परिणाम घोषित किए जा चुके हैं। 2019 की पीसीएस परीक्षा की प्रक्रिया जारी है।

खाली पद(वैकेंसी) की सूचना भेजने की यह है प्रक्रिया 

राज्य प्रशासनिक सेवा से संबंधित सभी विभाग अपने-अपने यहां के प्रशासनिक सेवा संवर्ग के खाली पदों की सूचना कार्मिक विभाग को देते हैं। कार्मिक विभाग इसके सापेक्ष आरक्षण रोस्टर लगा परीक्षा कराने को लोक सेवा आयोग को भेज देता है। इस मामले में देरी होने का कारण कार्मिक को समय से रिक्तियों की सूचना न मिलना, कार्मिक द्वारा इसे समय से आयोग को न भेज पाना या फिर आरक्षण को लेकर रोस्टर में कमी का होना है। कुछ मामलों में ऐसा भी हुआ है कि रिक्तियों की सूचना समय पर दी गयी। आयोग ने भी सब कुछ ठीक पाने पर परीक्षा की तैयारी कर ली, इस बीच सरकार ने आरक्षण को लेकर अपनी नीति या रोस्टर में बदलाव कर दिया और मांग के अनुसार इसे पहले से लागू माना। ऐसे में आयोग को सरकार के नए फैसले के अनुसार रिक्तियों को कार्मिक को लौटाना पड़ा। इससे भी मामला लटका और पीसीएस परीक्षा नहीं हो सकी।

यह भी पढ़ें: राज्य के सरकारी और निजी विश्वविद्यालय कक्षाओं को शुरू करने के पक्ष में

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष मेजर जनरल(अप्र) आनंद सिंह रावत ने बताया कि लोकसेवा आयोग राज्य सरकार-शासन से राज्य प्रशासनिक सेवा के विभिन्न विभागों की रिक्तियों के अनुसार कार्मिक की ओर से भेजी गई वैकेंसी के सापेक्ष पीसीएस की परीक्षा आयोजित कराता है। कार्मिक विभाग सरकार-शासन के इन वैकेंसियों पर आरक्षण आदि के तय मापदंड लागू कर भेजता है। देरी का कारण परीक्षा कराने को समय से वैकेंसी का न मिलना या आरक्षण मापदंड का पूरा न होना होता है। राज्य न्यायिक सेवा पीसीएस-जे के लिए परीक्षाओं और उनके अंतिम परीक्षाफल की घोषणा, इस बात की तस्दीक करती है कि आयोग समय से परीक्षा की प्रक्रिया पूरी कराने और चयन प्रक्रिया पूरी करने को हर वक्त तत्पर और सक्षम है।

यह भी पढ़ें: उत्‍तराखंड में नवंबर में डिग्री कॉलेजों को खोलने की तैयारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.