किताबों के इंतजार में आ गई अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं
संवाद सहयोगी, रुड़की: सरकारी स्कूलों के तमाम बच्चे किताबों के इंतजार में हैं और अब अर्द्धवा
संवाद सहयोगी, रुड़की: सरकारी स्कूलों के तमाम बच्चे किताबों के इंतजार में हैं और अब अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं सिर पर आ गई हैं। ऐसे में बच्चे बिन किताबों के परीक्षा कैसे देंगे। यह बात न तो बच्चे जानते हैं और न ही शिक्षक। हालांकि, विद्यालयों ने अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर दी है।
सरकारी स्कूलों में इस सत्र से किताबें दिये जाने की व्यवस्था में विभाग ने थोड़ा परिवर्तन किया था लेकिन यह बदलाव अभी तक पटरी पर नहीं आ पाया है। पहले विभाग बच्चों के लिए किताब खरीदता था और उनको बाद में बच्चों को वितरित कर दिया जाता था लेकिन इस बार किताबें विभाग ने खुद नहीं खरीदी। बल्कि किताबों का पैसा बच्चों के बैंक अकाउंट में डालने और बच्चों की ओर से स्वयं किताबें खरीदे जाने की व्यवस्था लागू की है, लेकिन बच्चों के अकाउंट नहीं खुल पाने की वजह से इसमें सबसे ज्यादा दिक्कत आ रही है। शिक्षक भी बच्चों के अकाउंट खुलवाने का प्रयास कर रहे हैं। इसके बावजूद तमाम ऐसे बच्चे हैं जिनके बैंक अकाउंट नहीं खुल पाए हैं। जिससे किताबों का पैसा बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर नहीं हो पाया है। किताबों का पैसा न मिल पाने की वजह से कई बच्चे ऐसे हैं जो अभी तक किताब खरीद नहीं पाए हैं। उन्हें किताबों का इंतजार है। बिन किताबों के ही यह बच्चे स्कूल जा रहे हैं। वहीं तीन अक्टूबर से सरकारी स्कूलों में अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू होने जा रही है। बिन किताबों के बच्चे यह परीक्षा कैसे दे पाएंगे। इसको लेकर बच्चे और उनके अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षक भी परेशान हैं।
कोट-
जिन बच्चों के बैंक अकाउंट नहीं खुले हैं। उनके लिए दूसरी व्यवस्था की गई है। अभिभावक के साथ यदि बच्चे का ज्वाइंट अकाउंट है तो उसके खाते में किताबों का पैसा ट्रांसफर कर दिया जाएगा।
डा. आरडी शर्मा, मुख्य शिक्षा अधिकारी, हरिद्वार