Move to Jagran APP

तीन गोली लगने के बाद भी नहीं रुका था रणबांकुरा, फहराया तिरंगा

हरिद्वार के रणबांकुरों ने भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थी। उनकी इस बहादुरी को देश हमेशा याद रखेगा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 02:30 PM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 02:30 PM (IST)
तीन गोली लगने के बाद भी नहीं रुका था रणबांकुरा, फहराया तिरंगा
तीन गोली लगने के बाद भी नहीं रुका था रणबांकुरा, फहराया तिरंगा

हरिद्वार, [अनूप कुमार]: भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में धर्मनगरी हरिद्वार की भी अहम भूमिका रही है। यहां समय-समय पर, खासकर गांधीजी के 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान हरिद्वार के रणबांकुरों ने अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थीं। शुक्रवार 14 अगस्त 1942 का दिन था। दारोगा राम सिंह और उसके सिपाहियों ने सुभाष घाट पर सुबह से पहरा बैठा रखा था। अंग्रेजों ने घाट पर लगे तिरंगे को हटाकर वहां यूनियन जैक फहरा दिया था। देशभक्त नौजवान नंदलाल धींगड़ा व साथियों को यह बर्दाश्त नहीं हुआ और उन्होंने यूनियन जैक हटाकर वहां दोबारा तिरंगा फहराने का फैसला किया। उसी वक्त वहां प्याऊ लगाने वाले दादा राम सिंह हाथों में तिरंगा लेकर नंदलाल से बोले, 'तुम छोटे कद के हो यह झंडा लगा दो।' लेकिन, नंदलाल झंडा लगाते समय गिर पड़े। यह देख दादा राम सिंह ने ही झंडा लगाया। 

loksabha election banner

इस बीच सैकड़ों विद्यार्थी और क्रांतिकारी भी वहां एकत्र हो गए। 'इन्कलाब जिंदाबाद' के उद्घोष के साथ सभी भर्ती दफ्तर की ओर बढ़े और दफ्तर को आग लगा दी। फिर पास में स्थित कोतवाली पर धावा बोलकर वहां भी यूनियन जैक की जगह तिरंगा फहराया और कोतवाली में कैद लोगों को रिहा कर दिया। यहां से कारवां डाकखाने की ओर बढ़ा और उसे भी आग के हवाले कर दिया गया। 

क्रांतिकारियों का रैला यहीं नहीं थमा, बल्कि रेलवे स्टेशन पर लगी दोनों बड़ी घड़ियों को तोड़कर वह बुकिंग ऑफिस को भी आग लगाने लगे। रेलवे स्टेशन पर लगे यूनियन जैक को हटाकर जैसे ही क्रांतिकारियों के एक साथी जगदीश वत्स ऊपर चढ़े, वहां पहुंचे जीआरपी के दारोगा प्रेम सिंह ने रिवाल्वर लहराते हुए उन्हें रुकने की चेतावनी दी। 

वत्स पर इसका कोई असर नहीं हुआ तो प्रेम सिंह ने उन पर गोली चला दी। तीन गोलियां लगने के बाद वत्स वहीं गिर पड़े और मौके पर भगदड़ मच गई। सभी क्रांतिकारी पुरानी सब्जी मंडी में जाकर खड़े हो गए। तभी बेबी आस्टन (तीन लोगों के बैठने की गाड़ी) में बैठा एक अंग्रेज अधिकारी वहां आ धमका। उसी वक्त नंदलाल को इटली के क्रांतिकारी गैरी बाल्डी की बात स्मरण हो आई और उन्होंने ड्राइवर के सिर पर पत्थर दे मारा। गाड़ी पलट गई और अधिकारी वहां से भाग खड़ा हुआ।

उधर, वत्स घायल होने पर भी रुके नहीं, बल्कि रेलवे लाइन से होते सीधे डाकघर पहुंचे और वहां तिरंगा फहरा दिया। इसी बीच नहर विभाग ने रुड़की टेलीफोन कर दिया, जहां से मजिस्ट्रेट जेडी नेक्सन के नेतृत्व में मिलिट्री की दो कंपनियां आ गईं। घायल वत्स को गिरफ्तार कर लिया गया। अंग्रेजों ने उन्हें जहर का इंजेक्शन देकर मार डाला। उन्हीं की याद में ऋषिकुल से रेलवे स्टेशन जाने वाली सड़क का नाम शहीद जगदीश प्रसाद वत्स मार्ग रखा गया। 

वत्स की शहादत के बाद शहर में मार्शल लॉ लागू कर गिरफ्तारी का दमनचक्र चल पड़ा और 48 इन्कलाबी गिरफ्तार कर लिए गए। सभी पर सहारनपुर सेशन कोर्ट में 11 धाराओं में मुकदमा चला और तीन महीने से लेकर उम्रकैद तक की सजाएं सुनाई गईं। करीब डेढ़ साल बाद राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया गया। स्वतंत्रता सेनानी नंदलाल धींगड़ा भी उन्हीं में से एक थे। 

यादों में समाए हुए हैं बहुगुणा बंधु 

हरिद्वार के कनखल निवासी भाइयों विष्णु दत्त बहुगुणा व हरिदत्त बहुगुणा ने भी 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में प्रमुखता से हिस्सा लिया था। 14 अगस्त को बहुगुणा बंधु ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कनखल स्थित डाकघर में आग लगाकर सरकारी नोटों को जला डाला था। अंग्रेजों ने विष्णु दत्त व हरिदत्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। बाद में इन्हें लाहौर जेल शिफ्ट कर दिया गया और यहीं वे शहीद भी हुए। बहुगुणा बंधु के साथ ही हीरा बल्लभ त्रिपाठी ने भी आजादी के आंदोलन में भाग लिया और जेल यात्रा पर भी गए। हीरा बल्लभ त्रिपाठी की आजादी के बाद संविधान निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

यह भी पढ़ें: आजादी के दीवानों की याद ताजा रखने के लिए निकाला ये अनूठा तरीका

यह भी पढ़ें: इस वृक्ष पर दी गई 152 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी, अब होती है पूजा

यह भी पढ़ें: यहां लोग चीन सीमा पर जवानों संग लहराते थे तिरंगा, अब जिंदा हैं यादें


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.