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श्रद्धा और भक्ति के साथ हुई गोवर्धन पूजा

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: श्रद्धा और भक्ति का त्योहार गोवर्धन पर्व धर्मनगरी में श्रद्धापूर्वक मनाया ग

By JagranEdited By: Published: Thu, 08 Nov 2018 09:20 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 09:20 PM (IST)
श्रद्धा और भक्ति के साथ हुई गोवर्धन पूजा
श्रद्धा और भक्ति के साथ हुई गोवर्धन पूजा

जागरण संवाददाता, हरिद्वार: श्रद्धा और भक्ति का त्योहार गोवर्धन पर्व धर्मनगरी में श्रद्धापूर्वक मनाया गया। मठ-मंदिरों में इस निमित्त विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ। इस दौरान भगवान विष्णु की आरती कर उनको 56 व्यंजनों का भोग लगाकर अन्नकूट महोत्सव मनाया गया। चंडीघाट स्थित श्रीदक्षिणकाली मंदिर में महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी के सानिध्य में गोवर्धन पूजा की गई। निकुंज विहार लालमंदिर कालोनी में श्रीब्राह्मण सभा की ओर से गोवर्धन पूजा का भव्य आयोजन किया गया। निकुंज विहार लालमंदिर कालोनी में श्रीब्राह्मण सभा की ओर से भी गोवर्धन पूजा की गई। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता बाबा हठयोगी और श्रीब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पं. अधीर कौशिक ने कहा कि यह पर्व प्रकृति की रक्षा का पर्व है।

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इस मौके पर भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने कहा कि देश में महंगाई कम हो, इसके लिए अन्नकूट की पूजा की गई। अन्नकूट महोत्सव प्राणी मात्र को परमात्मा के प्रदत्त प्राणतत्वों के संरक्षण का संदेश देने का भी माध्यम है। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने कहा कि भारत माता मंदिर की यह परंपरा सालों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि अन्नकूट महोत्सव पर श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपना ही स्वरुप प्रदान कर छप्पन भोग का प्रसाद अर्पित कराकर ग्वाल बालों को संदेश दिया कि हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए। कहा कि जल, वायु और पर्यावरण तत्व के बिना किसी भी प्राणी का अस्तित्व संभव नहीं है। अन्न जहां जीवनरक्षक है वहीं इसकी अधिकता जीवन को कष्ट में भी डाल सकती है। भारत माता मंदिर समन्वय सेवा ट्रस्ट के मुख्य न्यासी आइडी. शर्मा शास्त्री ने अन्नकूट महोत्सव में आए श्रद्धालु भक्तों का स्वागत करते हुए कहा कि भारत माता मंदिर में अन्नकूट महोत्सव दीपावली के बाद मनाए जाने वाला एक विशेष पर्व है, जिसमें 56 प्रकार के व्यंजनों से भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित किए जाते हैं। भारत माता मंदिर के श्रीमहंत ललितानंद गिरि ने कहा कि द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण ने पर्वतस्वरूप प्रकृति के प्रतीक गोवर्धन की पूजा कर इस पर्व को प्रकृति के संरक्षण का संदेश देने का माध्यम बनाकर प्राणी मात्र से प्रकृति का संरक्षण करने का आह्वान किया।

उधर, श्रीदक्षिणकाली मंदिर पर आयोजित गोवर्धन पर्व की पूजा के अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशनंद ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि देश में खुशहाली व शांति के लिए भगवान की आराधना करना भी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि मां काली की पूजा-अर्चना करने से धन, संपदा, यश वैभव की प्राप्ति होती है। दक्षिण काली मंदिर में विश्व कल्याण के लिए आयोजित तीन दिवसीय अनुष्ठान के समापन पर श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि महाकाली की विधिविधान के साथ जो श्रद्धालु भक्त, पूजा व आराधना करते हैं। मां उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। उन्होंने कहा कि धन, यश, वैभव की देवी माता लक्ष्मी की आराधना करने से साधक को धन, संपदा, यश, वैभव और कीर्ति की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद, स्वामी सत्यव्रतानंद, आचार्य स्वामी संजीव महाराज, स्वामी परमानंद, स्वामी साधनानंद, मां के सेवक अंकुश शुक्ला, पंडित शिवकुमार शर्मा, अनुराग वाजपेयी, राम¨सह, बालमुकुंदानंद ब्रह्मचारी, डॉ. अजय मगन, डॉ. पूजा मगन, श्रीमती नीरा कौशिक सहित कई श्रद्धालु भक्तों व संत महंतों ने मां की काली की पूजा करके स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी का आशीर्वाद प्राप्त किया।


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