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उत्तराखंड की बेटी ने यूएन काउंसिल में पांच देशों के विरुद्ध दर्ज कराया वाद, जानिए वजह

आठवीं की छात्रा रिद्धिमा पांडे के पर्यावरण प्रेम ने उसे न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय तक पहुंचा दिया।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 28 Sep 2019 05:08 PM (IST)Updated: Sat, 28 Sep 2019 08:49 PM (IST)
उत्तराखंड की बेटी ने यूएन काउंसिल में पांच देशों के विरुद्ध दर्ज कराया वाद, जानिए वजह
उत्तराखंड की बेटी ने यूएन काउंसिल में पांच देशों के विरुद्ध दर्ज कराया वाद, जानिए वजह

हरिद्वार, जेएनएन। हरिपुर कलां हरिद्वार निवासी आठवीं की छात्रा रिद्धिमा पांडे के पर्यावरण प्रेम ने उसे न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र संघ मुख्यालय तक पहुंचा दिया। रिद्धिमा समेत विभिन्न देशों के 16 बच्चों ने जलवायु संकट रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाने पर यूएन काउंसिल में पांच देशों के खिलाफ याचिका दायर कराई है। गुरुवार रात भारत लौटी रिद्धिमा को उम्मीद है कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय उनकी याचिका पर सुनवाई कर न्याय करेगा। इससे भारत समेत अन्य देशों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निजात मिल सकेगी। 

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भूपतवाला स्थित बीएमडीएवी स्कूल की छात्रा 11-वर्षीय रिद्धिमा ने बताया कि ग्लोबल वार्मिंग जैसी वैश्विक समस्या से फसल की पैदावार कम होने का खतरा पैदा हो गया है। इससे न केवल खाद्य सुरक्षा को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि पृथ्वी के औसत तापमान में भी वृद्धि हो रही है। कार्बन उत्सर्जन में कटौती के लिए विभिन्न देशों की ओर से किए जा रहे वायदे भविष्य में ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए नाकाफी हैं।

बताया कि अर्जेंटीना, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी और तुर्की ने जलवायु संकट रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाकर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है। जबकि, इन देशों की ओर से चाइल्ड राइट्स कन्वेंशन में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। रिद्धिमा ने कहा कि वह स्वयं के साथ सभी बच्चों और आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बचाना चाहती है। 

वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया नाम के एनजीओ में काम करने वाले रिद्धिमा के पिता दिनेश पांडे ने बताया कि वह गत 19 सितंबर को न्यूयार्क पहुंचे थे। 23 सितंबर को वहां आयोजित कार्यक्रम में उनकी बेटी समेत यूएसए, स्वीडन, नाइजीरिया, ट्यूनीशिया, ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, अर्जेंटीना आदि देशों के 16 बच्चों ने सोशल गुड समिट में हिस्सा लिया। वहां उन्होंने यूएन काउंसिल में याचिका दायर कराई। इसमें 'यूनिसेफ', इंटरनेशनल लॉ फर्म 'अर्थ जस्टिस' और 'हॉसफेल्ड' संस्था की ओर से भी सहयोग मिलेगा। 

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