पहली बार एक पार्टी में आया था चौधरी परिवार पर राह रही जुदा-जुदा
राजनीति के मैदान में झबरेड़ा का चौधरी परिवार हमेशा चर्चा में रहा है। चौधरी यशवीर सिंह और चौधरी कुलबीर सिंह कभी एक दल में नहीं रहे। पहली बार भाजपा में दोनों साथ-साथ रहे लेकिन दोनों की राह जुदा रही।
जागरण संवाददाता, रुड़की: राजनीति के मैदान में झबरेड़ा का चौधरी परिवार हमेशा चर्चा में रहा है। चौधरी यशवीर सिंह और चौधरी कुलबीर सिंह कभी एक दल में नहीं रहे। पहली बार भाजपा में दोनों साथ-साथ रहे, लेकिन दोनों की राह जुदा रही। सोमवार को चौधरी यशवीर सिंह बेटे के साथ दूसरी पार्टी में शामिल हो गए।
झबरेड़ा में चौधरी यशवीर सिंह एवं चौधरी कुलबीर सिंह राजनीति की दो धूरी हैं। झबरेड़ा नगर पंचायत के चुनाव में दोनों के बेटों डा. गौरव चौधरी एवं मानवेंद्र चौधरी के बीच मुकाबला हुआ। मानवेंद्र ने जीत हासिल की। उससे पहले गौरव नगर पंचायत के चेयरमैन रहे। जब चौधरी यशवीर सिंह बसपा में रहे तो कुलबीर चौधरी दूसरी पार्टी में। चौधरी यशवीर सिंह के बसपा छोड़ने के बाद कुलबीर चौधरी बसपा में रहे। यह पहली बार हुआ कि दोनों ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। दोनों पार्टी में शामिल रहे लेकिन उनकी राह अलग-अलग ही रही। तमाम मुद्दों पर वैचारिक मतभेद रहे। इसका खामियाजा झबरेड़ा के विधायक देशराज कर्णवाल को भी भुगतना पड़ा। दरअसल, झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल शुरूआती दौर में चौधरी कुलबीर सिंह के साथ रहे। उनके साथ रहते हुए वह चुनाव भी जीते। इसके बाद वह चौधरी यशवीर सिंह के खेमे में चले गए। इसके बाद चौधरी कुलबीर सिंह खेमे ने उसने दूरी बना ली। समय-समय पर नगर पंचायत और झबरेड़ा विधायक के बीच विवाद चर्चाओं का विषय रहा है। यहां तक कि पार्टी हाईकमान के सामने चौधरी कुलबीर सिंह गुट ने साफ कर दिया था कि मौजूदा विधायक को टिकट मिला तो पार्टी को नुकसान होगा।
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अटका है झबरेड़ा से भाजपा का टिकट भी
झबरेड़ा: झबरेड़ा से भाजपा ने अभी तक अपना उम्मीदवार तक घोषित नहीं किया है। इसको लेकर तमाम तरह के कयास है। अब झबरेड़ा विधायक के करीबी चौधरी यशवीर सिंह और उनके बेटे डा. गौरव चौधरी कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। ऐसे में बदले समीकरण से भाजपा के लिए भी अब टिकट को फाइनल करना चुनौती बना हुआ है। हालांकि झबरेड़ा विधायक देशराज कर्णवाल का कहना है कि वह तो भाजपा के समर्पित कार्यकत्र्ता हैं।