चारधाम में पैदल यात्रा शुरू करने पर फोकस
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज चारधाम में पैदल यात्रा शुरू करना चाहते हैं। इसके लिए यात्रा के रास्तों पर पड़ने वाले गांवों को पुनर्जीवित किया जाएगा।
रुड़की, [जेएनएन]: देश में पानी के संसाधन सीमित हैं जबकि इसका उपयोग भरपूर मात्रा में हो रहा है। भूजल स्तर में भी कमी आना चिंता का विषय है। ऐसे में जल प्रबंधन बेहद आवश्यक हो गया है। इसमें देश के वैज्ञानिक अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह बातें कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने आइआइटी रुड़की में आयोजित सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी फॉर इंटेलिजेंट वाटर मैनेजमेंट विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में की।
कॉन्फ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि आइआइटी रुड़की जैसे शिक्षण संस्थानों के इंजीनियरों और वैज्ञानिकों से जल प्रबंधन के क्षेत्र में मार्गदर्शन लिया जाएगा। उत्तराखंड में टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने बताया कि चारधाम में वह पैदल यात्रा शुरू करना चाहते हैं। इसके लिए यात्रा के रास्तों पर पड़ने वाले गांवों को पुनर्जीवित किया जाएगा। विश्व को बताया जाएगा कि चारधाम यात्रा ट्रैक दुनिया का सबसे प्राचीनतम ट्रैक है।
इसके अलावा भगवान शंकर, नागराज आदि धार्मिक नामों से सर्किट हाउस बनाए जाएंगे। टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर और वाटर स्पोर्ट्स को भी बढ़ाया जाएगा। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में इंटरनेशनल एयरपोर्ट स्थापित करने की भी टूरिज्म विभाग की योजना है। आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर एके चतुर्वेदी ने जल प्रबंधन की आवश्यकता पर बल दिया।
इस मौके पर एम्स ऋषिकेश के निदेशक प्रोफेसर रवि पंत, प्रोफेसर एन एस रघुवंशी, डॉ वाईवीएन कृष्णमूर्ति, इंजीनियर एचएल अरोड़ा आदि ने भी अपने विचार रखे। तीन दिवसीय इस कांफ्रेंस में देशभर के 153 संस्थानों से प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
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